केदारनाथ. उत्तराखंड के चारों धामों में सबसे कठिन यात्रा बाबा केदारनाथ की है. करीब 18 से 20 किमी की कठिन रास्तों की इस यात्रा में घोड़े खच्चर एक रीढ़ की हड्डी हैं, लेकिन प्रशासन की लापरवाई से इन घोड़े खच्चरों की दुर्गति होने लगी है. इस सीजन में करीब 100 से अधिक घोड़े खच्चरों की मौत भी हो चुकी है, जिस पर अब ये लोग भी प्रशासन पर आरोप लगा रहे हैं.
वैसे तो हेलीकाप्टर, डंडी-कंडी और पालखी का उपयोग कर श्रद्धालु केदारनाथ पहुंच सकते हैं, लेकिन सबसे ज्यादा धाम में पहुंचने के लिए श्रद्धालु घोड़े खच्चर का उपयोग करते हैं. साथ ही धाम में सामान ढोने का भी काम यही करते हैं, जो गौरीकुंड, सोनप्रयाग से अलग अलग रेट 22 सौ से 25 सौ तक आसानी से मिल जाते हैं. अब प्रशासन की बेरुखी से घोड़े खच्चर स्वामी नाराज हैं. उनका कहना है कि प्रसाशन को ये लोग हर एक चक्कर का 300 रुपये टैक्स देते हें लेकिन इस टैक्स का उनको किसी भी प्रकार का लाभ नही मिलता. न तो प्रशासन ने उनके घोड़े खच्चर के लिए कोई पशु डाक्टर रखा है और न ही किसी घोड़े खच्चर के लिए सरकारी चारे और पीने के पानी की व्यवस्था है.
वहीं घोड़े खच्चर संचालकों का कहना है दिन में वो एक ही चक्कर सवारियां ढो सकते हैं और एक दिन का खच्चर के साथ उसके संचालक का खर्चा करीब 2 हजार रूपये तक आता है. घोड़े खच्चर संघ के अध्यक्ष गोविंद सिंह रावत का कहना है कि महंगाई लगातार बढ़ रही है और पिछले 4 साल से प्रशासन ने उनका किराया नहीं बढ़ाया. जिस पर अब सभी घोड़े खच्चर संचालकों में नाराजगी है.
वहीं इस नाराजगी पर जिला पंचायत अध्यक्ष अमर देई शाह रुद्रप्रयाग का भी मानना है कि कुछ कमियां हैं, जिनको जल्द दूर किया जाएगा. साथ ही जो रेट की बात है उस पर भी विचार किया जाएगा. केदारनाथ पैदल यात्रा पर 20 हजार से अधिक घोडा खच्चर हैं, जो प्रशासन की अनदेखी से नाराज हैं. वहीं प्रशासन भी इनकी नाराजगी को दूर करने की बात कर रहा है, लेकिन ये नराजगी जल्द दूर न हुई तो यात्रा में दिक्कतें आ सकती हैं.
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