देहरादून. यौन उत्पीड़न मामले (Sexual Harassment Case) में फंसे बीजेपी विधायक महेश नेगी (Mahesh Negi) को भले ही हाईकोर्ट से राहत मिली हो, लेकिन अब इस मामले में पीड़िता की ओर से सुप्रीमकोर्ट कोर्ट जाने की बात कही जा रही है. इस मामले में पुलिस जांच पर सवाल उठाए गए हैं. यह मामला यदि सुप्रीम कोर्ट गया तो एक बार फिर बीजेपी विधायक की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
5 सितम्बर 2020 से शुरू हुए विधायक महेश नेगी पर यौन शोषण आरोप मामल में एक बार फिर जांच को लेकर सवाल उठे हैं. जांच अधिकारी ने कोर्ट में फाइनल रिपोर्ट दाखिल करने के साथ इस मामले की जांच बंद करने के साथ विधायक महेश नेगी को क्लीन चिट दे दी है. सरकार ने कोर्ट में कहा कि इस मामले में फाइनल रिपोर्ट दाखिल की गई है, जिसमें महेश नेगी के खिलाफ यौन उत्पीड़न जैसे के कोई आरोप नहीं बनते हैं.
वहीं, अधिवक्ता राजेन्द्र कोठियाल ने बताया कि सीबीआई जांच वाली याचिका पर हाईकोर्ट ने सरकार और महेश नेगी को नोटिस जारी किया है और 4 हफ़्तों में जवाब दाखिल करने को कहा है. वहीं मामले में पीड़ित पक्ष का कहना है कि जांच अधिकारी को दिए सबूतों पर एक तरफ तो जांच अधिकारी देहरादून कोर्ट से विधायक की डीएनए की मांग कर रही है.
दूसरी तरफ हाईकोर्ट में फाइनल रिपोर्ट लगाने के साथ विधायक को क्लीन चिट दे रही है, जिस पर पीड़ित पक्ष सवाल उठाने के साथ सुप्रीमकोर्ट और पूरे मामले में सीबीआई जांच की मांग कर रही है.
यह मामला राज्य के हाईप्रोफाइल मामलों में शामिल रहा है. यह एक बार फिर से चर्चाओं में है. इस मामले में भले ही महेश नेगी को बड़ी रहत मिली है, लेकिन पीड़ित पक्ष अभी भी पूरी जांच को लेकर सवाल उठा रहा है. इस मामले में सीबीआई से जांच कराए जाने की मांग की जा रही है.
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