चमोली आपदा में लापता 134 लोग मृत घोषित होंगे, केंद्र के आदेश पर सरकार ने जारी किया नोटिफिकेशन

Chamoli Tragedy: चमोली हादसे में अब तक लापता लोगों के लिए पिछले 16 दिनों से जारी है सर्च अभियान.
उत्तराखंड या अन्य प्रदेश के जो लोग लापता हैं, उनके परिजनों को मिसिंग या मृत्यु शपथ पत्र की प्रति अपने जिले में प्रशासन को देनी होगी. राज्य सरकार ने इसके लिए सभी जिलों के एसडीएम को अधिकृत किया है.
- News18 Uttarakhand
- Last Updated: February 23, 2021, 12:37 PM IST
देहरादून. चमोली में 7 फरवरी को आई आपदा में लापता लोगों के परिजनों को जल्द ही मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर दिया जाएगा. इस संबंध में केंद्र से मिले दिशा निर्देशों के बाद उत्तराखंड सरकार ने भी अधिसूचना जारी कर दी है. चमोली आपदा में 204 लोग अभी तक लापता हैं. इनमें से 70 शव बरामद किए जा चुके हैं, जबकि 134 लोग अब भी लापता हैं. इनकी तलाश के लिए चमोली की ऋषिगंगा और धौलीगंगा घाटी के साथ ही तपोवन टनल और बैराज साइट पर पिछले 16 दिन से सर्च अभियान लगातार जारी है. अब इन सभी 134 लोगों को मृत घोषित करने के लिए सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है.
लापता लोगों को मृत घोषित करने के लिए राज्य सरकार ने केंद्र को पत्र लिखा था, ताकि मानक शिथिल किए जाएं. इसके तहत लापता लोगों को जल्द से जल्द म़ृत घोषित करने का विचार था, जिससे उनके परिजनों को समय पर राहत राशि बांटी जा सके. इसके लिए उत्तराखंड में सभी जिलों में एसडीएम को अधिकृत किया गया है, जबकि जिलाधिकारी अपीलीय अधिकारी होंगे.
लापता लोगों के परिजनों को मिसिंग या मृत्यु होने की नोटरी शपथ पत्र के साथ अपने मूल जिले में रिपोर्ट दर्ज करानी होगी. जहां से ये रिपोर्ट चमोली जिला प्रशासन को आएगी. ठीक इसी तरह यदि अन्य प्रदेश के लोगों या अन्य जिलों के लोगों ने चमोली के आपदा प्रभावित क्षेत्र में मिसिंग रिपोर्ट दर्ज करा दी है, तो प्रभावित क्षेत्र में अधिकृत अधिकारी इस रिपोर्ट को जांच के लिए संबंधित जिले के एसडीएम को भेजेगा. वहां से जांच रिपोर्ट मिलने के बाद मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर दिया जाएगा.
आपको बता दें कि इस तरह के मामलों में केंद्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत मिसिंग व्यक्ति को सात साल बाद मृत घोषित किए जाने का प्रावधान है. लेकिन राज्य सरकार के अनुरोध पर केंद्र ने इसमें शिथिलता बरतने को हरी झंडी दे दी है. आपदा के मानकों में 2013 की आपदा में भी इसी तरह शिथिलता बरतते हुए मिसिंग लोगों को मृत घोषित कर दिया गया था.चमोली ग्लेशियर हादसे में एनटीपीसी के तपोवन में स्थित पावर प्रोजेक्ट में 140 लोग बाढ़ की चपेट में आ गए थे. एनटीपीसी ने इन सभी लोगों के परिजनों को 20-20 लाख का मुआवजा देने की घोषणा की है. कई परिवारों को ये मुआवजा दिया भी जा चुका है. इसके अलावा राज्य सरकार ने 4र लाख और केंद्र ने प्रधानमंत्री राहत कोष से दो-दो लाख रुपए देने की घोषणा की है.
लापता लोगों को मृत घोषित करने के लिए राज्य सरकार ने केंद्र को पत्र लिखा था, ताकि मानक शिथिल किए जाएं. इसके तहत लापता लोगों को जल्द से जल्द म़ृत घोषित करने का विचार था, जिससे उनके परिजनों को समय पर राहत राशि बांटी जा सके. इसके लिए उत्तराखंड में सभी जिलों में एसडीएम को अधिकृत किया गया है, जबकि जिलाधिकारी अपीलीय अधिकारी होंगे.
लापता लोगों के परिजनों को मिसिंग या मृत्यु होने की नोटरी शपथ पत्र के साथ अपने मूल जिले में रिपोर्ट दर्ज करानी होगी. जहां से ये रिपोर्ट चमोली जिला प्रशासन को आएगी. ठीक इसी तरह यदि अन्य प्रदेश के लोगों या अन्य जिलों के लोगों ने चमोली के आपदा प्रभावित क्षेत्र में मिसिंग रिपोर्ट दर्ज करा दी है, तो प्रभावित क्षेत्र में अधिकृत अधिकारी इस रिपोर्ट को जांच के लिए संबंधित जिले के एसडीएम को भेजेगा. वहां से जांच रिपोर्ट मिलने के बाद मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर दिया जाएगा.
आपको बता दें कि इस तरह के मामलों में केंद्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत मिसिंग व्यक्ति को सात साल बाद मृत घोषित किए जाने का प्रावधान है. लेकिन राज्य सरकार के अनुरोध पर केंद्र ने इसमें शिथिलता बरतने को हरी झंडी दे दी है. आपदा के मानकों में 2013 की आपदा में भी इसी तरह शिथिलता बरतते हुए मिसिंग लोगों को मृत घोषित कर दिया गया था.चमोली ग्लेशियर हादसे में एनटीपीसी के तपोवन में स्थित पावर प्रोजेक्ट में 140 लोग बाढ़ की चपेट में आ गए थे. एनटीपीसी ने इन सभी लोगों के परिजनों को 20-20 लाख का मुआवजा देने की घोषणा की है. कई परिवारों को ये मुआवजा दिया भी जा चुका है. इसके अलावा राज्य सरकार ने 4र लाख और केंद्र ने प्रधानमंत्री राहत कोष से दो-दो लाख रुपए देने की घोषणा की है.