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Dehradun : 26 साल पहले आर्म्स लाइसेंस के लिए किया था फर्जी पत्र का इस्तेमाल, अब गिरफ्तार

चिकित्स्कों ने अनुसार मासूम पूरी तरह स्वस्थ्य है. उसे फिलहाल चिकित्सकों की देखरेख में रखा गया है. पुलिस अब इस बात की जानकारी जुटा रही है कि गिरोह के सदस्य बच्ची को आखिर कहां से लाये थे. इस बात की भी जानकारी जुटाई जा रही है कि परिजनों ने खुद बच्चे को बेचने  के लिए दिया था अथवा यह चोरी किया गया था. मामले में बच्चों को चोरी कर बेचने की भी आशंका है. 

चिकित्स्कों ने अनुसार मासूम पूरी तरह स्वस्थ्य है. उसे फिलहाल चिकित्सकों की देखरेख में रखा गया है. पुलिस अब इस बात की जानकारी जुटा रही है कि गिरोह के सदस्य बच्ची को आखिर कहां से लाये थे. इस बात की भी जानकारी जुटाई जा रही है कि परिजनों ने खुद बच्चे को बेचने  के लिए दिया था अथवा यह चोरी किया गया था. मामले में बच्चों को चोरी कर बेचने की भी आशंका है. 

गिरफ्तार चिकित्सक ने पूछताछ में बताया कि वह 1996 में सड़क हादसे में घायल हुआ था. वह 2 साल तक कोमा में रहा, जिसके चलते उ ...अधिक पढ़ें

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देहरादून. 26 सालों से पुलिस (Police) को चकमा देकर फरार चल रहे मुलजिम को आखिरकार पुलिस ने गिरफ्तार (Arrest) कर लिया है. 1994 में इस मुलजिम ने उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी (Former Chief Minister ND Tiwari) के निजी सचिव का फर्जी पत्र तैयार कर शस्त्र लाइसेंस (Arms license) बनाने के संस्तुति की थी. इस मामले में थाना कैंट में मुकदमा दर्ज (FIR) किया गया था. आरोपी चिकित्सक शांति स्वरूप तिवारी ने रिवाल्वर के लाइसेंस की संस्तुति के लिए सचिव का फर्जी पत्र डीएम कार्यालय में दिया था.

हरियाणा के पलवल से पकड़ा गया मुलजिम

जी हां, रिवाल्वर का लाइसेंस लेने के लिए यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी के निजी सचिव का फर्जी प्रमाण पत्र जमा किया गया था. इस मामले में चिकित्सक शांति स्वरूप तिवारी 26 साल से फरार चल रहा था. लेकिन इस बार कैंट कोतवाली पुलिस और एसओजी की टीम ने संयुक्त कार्रवाई कर पलवल हरियाणा से उसे गिरफ्तार कर लिया है. पुलिस के मुताबिक, 1994 में डॉक्टर शांति स्वरूप तिवारी ने रिवाल्वर का लाइसेंस लेने के लिए आवेदन किया था, जिसमें आवेदक ने पूर्व सीएम एनडी तिवारी के निजी सचिव का पत्र संलग्न किया था. पेपर जांच के दौरान यह पत्र फर्जी पाया गया. सीआईडी लखनऊ ने इसकी जांच की थी. वर्ष 2012 में इस भगोड़े अभियुक्त को इनामी घोषित किया गया था.

दो साल कोमा में रहा आरोपी!

गिरफ्तार किए जाने के बाद आरोपी ने पूछताछ में बताया कि वह 1996 में सड़क हादसे में घायल हुआ था. वह 2 साल तक कोमा में रहा, जिसके चलते उसे अपराध की ज्यादा जानकारी नहीं है. वहीं मामले में एसपी सिटी श्वेता चौबे का कहना है कि इन दिनों आरोपी एक निजी अस्पताल में बतौर फिजिशियन काम कर रहा था. जिसे गिरफ्तारी के बाद कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया है.

Tags: Accused arrested, Arms License, Arrest, FIR, Police, Uttarakhand Police

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