एमएलए फंड खर्च करने में फिसड्डी उत्तराखंड के विधायक.
रिपोर्ट-विशाल गर्ग
देहरादून. उत्तराखंड में विधायक अपने क्षेत्र के विकास के लिए कितने संवेदनशील हैं इसका अंदाजा उनकी विधायक निधि खर्च करने से लगाया जा सकता है. अधिकांश विधायक ऐसे हैं जो अपनी विधायक निधि को वक्त पर खर्च नहीं कर पाते, इसलिए कई योजनाएं अधर में लटकी हुई हैं.
देहरादून जिले में 10 विधान सभा क्षेत्र हैं. इन 10 में से 9 बीजेपी के विधायक हैं और एक कांग्रेस के. लेकिन, कई विधायक अब तक अपनी पूर्व विधायक निधि खर्च नहीं कर पाए हैं. खास बात यह यह वित्तीय वर्ष समाप्त हो चुका है. इनमें सबसे फिसड्डी उत्तराखंड सरकार के कैबिनेट मंत्री, ऋषिकेश से विधायक प्रेमचंद अग्रवाल हैं जो कि अपनी विधायक निधि का 1 करोड़ 30 लाख ही खर्च कर पाए हैं. वे अभी भी 2 करोड़ 45 लाख खर्च नहीं कर पाए हैं.
इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर कांग्रेस के चकराता से विधायक प्रीतम सिंह रहे हैं. इन्होंने भी अपनी विधायक निधि का 50% भी इस्तेमाल नहीं किया है. देहरादून जिले में विधायक निधि खर्च करने में टॉप पर डोइवला विधायक ब्रजभूषण गैरोला और रायपुर के विधायक उमेश शर्मा काऊ हैं.
बता दें कि उत्तराखंड में हर विधायक को प्रतिवर्ष 3 करोड़ 75 लाख रुपए विधायक निधि के लिए मिलते हैं, जिनके माध्यम से विधायक अपने क्षेत्र के विभिन्न विकास कार्य करते हैं. इसके अलावा सरकार द्वारा स्वीकृत अन्य विकास काम अलग हैं. देहरादून जिले में कुल 10 विधायक हैं. इस हिसाब से सभी विधायकों को ₹37 करोड़ 50 लाख स्वीकृत किए गए.
अब तक विधायकों को ₹29 करोड़ 85 लाख विधायक निधि के तौर पर स्वीकृत किए जा चुके हैं, जबकि 7 करोड़ 64 लाख धनराशि अभी अवशेष हैं. इसके सापेक्ष 847 योजनाएं सभी विधायकों को स्वीकृत की गई हैं और इनमें से 218 योजना ही अभी पूरी हो पाई है. वहीं, 629 योजनाएं पेंडिंग हैं.
सरकार नए वित्तीय वर्ष 23-24 के लिए बजट की तैयारी में जुटी हुई है. नए साल के लिए नई योजनाएं होंगी नए विकास के एजेंडे होंगे, लेकिन हमारे माननीय 2022-23 की अपनी विधायक निधि खर्च नहीं कर पाए, जबकि यही विधायक विधानसभा के अंदर बैठकर विकास का रोना रोते हैं. वक्त पर जब ये माननीय अपनी विधायक निधि खर्च नहीं करेंगे तो फिर प्रदेश का विकास कैसे होगा?
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