गंगा की फाइल फोटो- Reuters
करोड़ों हिंदुओं की आस्था का केंद्र गंगा नदी ही निर्मल है और न ही गंगा का पानी साफ है. कैग की रिपोर्ट में प्रदेश में गंगा नदी को साफ करने वाले सभी सरकारी दावे गलत साबित हुए हैं. विधानसभा सत्र के तीसरे दिन सदन के पटल पर 2012 से 31 मार्च 2017 की सीएजी यानी कैग रिपोर्ट रखी गई.
कैग की रिपोर्ट में जो खुलासे हुए हैं वे बेहद चिंताजनक है. रिपोर्ट में सीधे और साफ तौर पर कहा गया है कि गंगा नदी में धड़ल्ले से गंदे नालों का पानी डाला जा रहा है और सीवर का पानी भी बिना निस्तारण के ही गंगा नदी में छोड़ा जा रहा है. कैग की रिपोर्ट में गंगा सवच्छता अभियान के लिए सरकार के सभी दावों को गलत पाया गया है.
गंगा किनारे सात जनपदों में स्थित 132 पंचायतों के 265 गांवों को खुले में शौचमुक्त का दावा कैग की रिपोर्ट में गलत पाया गया है. परीक्षण में पाया गया है कि 1143 निजी शौचालयों में से 41 शौचालय तो बन हीं नहीं पाए थे, जबकि 34 शौचालय निर्माणाधीन थे. गंगा किनारे की ढलानों पर अब भी कूड़ा डाला जा रहा है, जो नदी में जो रहा है. ऋषिकेश, देवप्रयाग व हरिद्वार में मल शोधन संयंत्रों का कम उपयोग किया जा रहा था. हरिद्वार में 35 एमएलडी सीवर बिना निस्तारण के ही गंगा में डाला जा रहा है. ऋषिकेश में 16 एमएलडी में से सिर्फ 6 एमएलडी सीवर का ही निस्तारण किया जा रहा है.
गंगा नदी को साफ करने के लिए पहला गंगा एक्शन प्लान और अब नमामि गंगे जैसा बड़ा और व्यापक कार्यक्रम तो चलाया जा रहा है औऱ अरबों रुपया पानी की तरह बहाया जा रहा है, लेकिन कैंग की रिपोर्ट देखें तो अभी तक कुछ हासिल नहीं हुआ है. हरिद्वार, देवप्रयाग, ऋषिकेश और उत्तरकाशी जैसे क्षेत्रों में सीवर ट्रीटमेंट प्लांट उस तरह से काम नहीं कर रहे हैं जैसे करने चाहिए. उत्तराखंड के पेयजल मंत्री प्रकाश पंत कहते हैं कि कैग ने जो भी रिपोर्ट दी है वह सही है, लेकिन वो पुरानी रिपोर्ट है. उन्होंने कहा कि जब से उनकी सरकार आई है उन्होंने सब कुछ ठीक किया है. पेयजल मंत्री के मुताबिक 31 मार्च 2019 तक सारे काम पूरे कर लिए जाएंगे.
(देहरादून से किशोर रावत की रिपोर्ट)
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