देहरादून. उत्तराखंड के चंपावत विधानसभा उपचुनाव के लिए कांग्रेस ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के खिलाफ निर्मला गहतोड़ी को मैदान में उतारा है. दरअसल कांग्रेस को महिला उम्मीदवार पर यकीन है, लेकिन सच्चाई ये भी है कि मैदान पर मुकाबला सबू के सीएम से है. 31 मई को होने वाले चंपावत उपचुनाव के लिए बीजेपी की तरफ से धामी ताल ठोक रहे हैं, तो वहीं कांग्रेस ने 2002 के बाद पहली बार चंपावत सीट से उम्मीदवार बदलकर निर्मला गहतोड़ी को उम्मीदवार बनाया है. इससे पहले 5 बार यहां कांग्रेस के हेमेश खर्कवाल उम्मीदवार रहे हैं.
चंपावत उपचुनाव में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के खिलाफ लड़ने वाली निर्मला गहतोड़ी सीनियर महिला नेता हैं, जिनकी उम्र करीब 60 साल है. वह 2 बार चंपावत में कांग्रेस की जिलाध्यक्ष रह चुकी हैं. इसके अलावा हरीश रावत सरकार में राज्य महिला सशक्तिकरण परिषद की उपाध्यक्ष रह चुकी हैं. वह ब्राह्मण जाति से ताल्लुक रखती हैं. कांग्रेस को उम्मीद है कि उसे ब्राह्मणों के साथ महिलाओं का साथ मिलेगा. वह करीब तीन दशक पहले शराब-विरोधी आंदोलन से सुर्खियों में आई थीं.
कांग्रेस ने कहा पार्टी का फैसला सही
कांग्रेस के सीनियर नेताओं की नजर में पार्टी का फैसला सही है और मुख्यमंत्री के सामने लड़े जा रहे उपचुनाव को पार्टी हल्के में नहीं लेगी. नेता विपक्ष यशपाल आर्य का कहना है कि पार्टी का फैसला है और पार्टी पूरी मजबूती के साथ चुनाव लड़ेगी. बता दें कि 2002 से 2022 तक चंपावत सीट पर 5 बार चुनाव हुए और हर बार कांग्रेस के उम्मीदवार हेमेश खर्कवाल रहे. सूत्रों का दावा है कि 2017 और 2022 का लगातार चुनाव हार चुके हेमेश खर्कवाल सूबे के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सामने चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पाए. ऐसे में पहली बार चुनाव लड़ने जा रहीं निर्मला गहतोड़ी के लिए राह आसान होने वाली नहीं है.
2002 से ऐसा रहा चंपावत का रिजल्ट
चंपावत सीट की बात करें तो इसमें 2002 में कांग्रेस, 2007 में बीजेपी, 2012 में कांग्रेस, 2017 में बीजेपी और 2022 में बीजेपी चुनाव जीती. हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी के कैलाश गहतोड़ी को जहां 32547 वोट मिले, वहीं कांग्रेस के हेमेश खर्कवाल को 27243 वोट मिले. इसलिए बीजेपी को पूरा यकीन है कि नतीजा उनके पक्ष में रहेगा. इस बीच कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी का कहना है कि कांग्रेस ने चुनाव में डमी कैंडिडेट को उतारा है.
बहरहाल, चंपावत उपचुनाव के लिए कांग्रेस ने भले ही उम्मीदवार घोषित कर दिया हो, लेकिन कांग्रेस भी जानती है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुकाबला आसान नहीं हैं. ऐसे में कांग्रेस के लिए ये चुनाव जीत-हार का मुकाबला कम पार्टी की मौजूदगी दर्ज करने का मौका ज्यादा है.
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