देहरादून. उत्तराखंड में जंगल की आग कितनी विकराल हो चुकी है, इसका अंदाज़ा यह आंकड़ा दे सकता है कि अब तक 1100 हेक्टेयर से ज़्यादा जंगल राख हो चुका है. इतनी वन संपदा के साथ ही वन्यजीवन भी प्रभावित है. नैनीताल में जंगली जानवर बस्तियों की तरफ रुख करते देखे जा रहे हैं, तो बागेश्वर में ताज़ा घटना के मुताबिक जंगल की आग से एक गांव के पांच मकान जलकर राख हो गए. उत्तरकाशी में बड़े पैमाने पर जंगल जल रहे हैं, तो ज़िले में कई जगह धुआं मिश्रित धुंध छा गई है. ये भी देखिए कि किन ज़िलों में वनों की आग से सबसे ज़्यादा तबाही हो रही है.
सबसे पहले बागेश्वर की बात करें, तो न्यूज़18 संवाददाता सुष्मिता थापा की रिपोर्ट के मुताबिक जंगल की आग पूर्व सीएम तथा महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के गांव नामतीचेटाबगड़ के पोथियाधार तोक तक पहुंच गई. पांच मकान जलकर राख हो गए लेकिन हादसे में किसी तरह की जनहानि नहीं हुई. इधर, वन विभाग का डेटा कह रहा है कि फरवरी के मध्य से शुरू हुई जंगल की आग की करीब 800 घटनाओं में 1100 हेक्टेयर जंगल चपेट में आ चुका है. जंगल की आग से कुमाऊं मंडल बुरी तरह प्रभावित है.
सबसे ज़्यादा तबाही किन ज़िलों में?
हाल में जंगल की आग की चपेट में यहां एक हाई एंड रिसॉर्ट आ गया था. इस सीज़न में फॉरेस्ट फायर से सबसे ज़्यादा प्रभावित ज़िला अल्मोड़ा को बताया गया है. खबरों के मुताबिक ज़िले में 116 आग की घटनाओं में 246.55 हेक्टेयर जंगल खाक हुआ. वहीं, ज़िले के अधिकार क्षेत्र में ही आने वाले अल्मोड़ा सिविल सोयम में भी 42 घटनाएं दर्ज हुई हैं, जिनमें 87.25 हेक्टेयर जंगल आग की चपेट में रहा. अल्मोड़ा के बाद पिथौरागढ़ में 178 हेक्टेयर, बागेश्वर में 112 और पौड़ी में 91 हेक्टेयर वन प्रभावित रहा है.
नैनीताल में बस्तियों में दिखे वन्यजीव
संवाददाता वीरेंद्र बिष्ट ने रिपोर्ट किया कि जंगलों में लगी आग से जंगली जानवर परेशान होकर आबादी की तरफ रुख कर रहे हैं. तल्लीताल में आए दिन लेपर्ड बस्ती में दिख रहे हैं. एक वायरल वीडियो नैनीताल के हरिनगर का कहा जा रहा है, जिसमें तेंदुआ रिहाइशी इलाके में दिख रहा है. वहीं, उत्तरकाशी से रिपोर्टर बलबीर परमार ने बताया कि बुधवार शाम से उत्तरकाशी वन प्रभाग के डुंडा, धरासू, बाड़ाहाट रेंज के जंगल जल रहे हैं और जनपद में धुंध छा गई है.
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