देव भूमि में अब गूंजेगी देव भाषा... उत्तराखंड के चार कॉलजों में वेद केंद्रों की स्थापना की प्रक्रिया शुरु

संस्कृत के उत्थान के लिए उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय की पहल पर शासन ने चार वेद केंद्रों की स्थापना की तैयारी कर ली है.
संस्कृत के उत्थान के लिए शासन ने एक 7 सदस्य समिति बनाई है जिसने रुद्रप्रयाग (Rudraprayag), जोशीमठ (Joshimath), उत्तरकाशी (Uttarkashi) और ऋषिकेश (Rishikesh) के महाविद्यालयों में वेद केंद्रों का प्रारूप तैयार कर लिया है.
- News18 Uttarakhand
- Last Updated: November 26, 2019, 12:43 PM IST
ऋषिकेश. देर आए, दुरुस्त आए... उत्तराखंड की राजभाषा संस्कृत के दिन अब बहुरने की उम्मीद बढ़ गई है. दरअसल उत्तराखंड की द्वितीय राजभाषा के रूप में संस्कृत को पहचान तो मिली लेकिन कहीं न कहीं कुछ कमी के चलते संस्कृत भाषा, वेद, कर्मकांड का अध्ययन कुछ सीमित दायरे में ही रह गया था. अब शासन ने एक समिति का गठन कर ऋषिकेश, रुद्रप्रयाग, जोशीमठ और उत्तरकाशी के महाविद्यालयों में वेद केंद्रों की स्थापना शुरू कर दी है.
7 सदस्यीय कमेटी रखेगी नज़र
संस्कृत के उत्थान के लिए उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय की पहल पर शासन ने चार वेद केंद्रों की स्थापना की तैयारी कर ली है. इसके लिए एक 7 सदस्य समिति बनाई गई है जो वेद अध्ययन केंद्रों के संचालन का लेखा-जोखा रखेगी.
इस समिति ने रुद्रप्रयाग, जोशीमठ, उत्तरकाशी और ऋषिकेश के महाविद्यालयों में वेद केंद्रों का प्रारूप तैयार कर लिया है. इससे संस्कृत शिक्षाविदों में खुशी की लहर है और वे उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के इस कदम को भाषा के प्रसार के लिए महत्वपूर्ण मान रहे हैं.महत्वपूर्ण कदम
ऋषिकेश प्राचीन समय से ही संस्कृत भाषा का महत्व पूर्ण केंद्र रहा है. यहां बड़ी संख्या में देश-विदेश से संस्कृत अध्ययन के लिए विद्यार्थियों का आना-जाना लगा रहता है. नेपाल, थाईलैंड, भूटान, जापान और जर्मनी के कई विद्यार्थी समय-समय पर आकर यहां शिक्षा लेते हैं.
संस्कृत महाविद्यालय में शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्र वेद केंद्रों की स्थापना को भाषा के उत्थान में महत्वपूर्ण कदम मानते हैं. छात्रों का यह भी मानना है कि इससे भविष्य में रोजगार बढ़ने की संभावनाएं भी बढ़ेंगी.ये भी देखें:
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7 सदस्यीय कमेटी रखेगी नज़र
संस्कृत के उत्थान के लिए उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय की पहल पर शासन ने चार वेद केंद्रों की स्थापना की तैयारी कर ली है. इसके लिए एक 7 सदस्य समिति बनाई गई है जो वेद अध्ययन केंद्रों के संचालन का लेखा-जोखा रखेगी.
इस समिति ने रुद्रप्रयाग, जोशीमठ, उत्तरकाशी और ऋषिकेश के महाविद्यालयों में वेद केंद्रों का प्रारूप तैयार कर लिया है. इससे संस्कृत शिक्षाविदों में खुशी की लहर है और वे उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के इस कदम को भाषा के प्रसार के लिए महत्वपूर्ण मान रहे हैं.महत्वपूर्ण कदम
ऋषिकेश प्राचीन समय से ही संस्कृत भाषा का महत्व पूर्ण केंद्र रहा है. यहां बड़ी संख्या में देश-विदेश से संस्कृत अध्ययन के लिए विद्यार्थियों का आना-जाना लगा रहता है. नेपाल, थाईलैंड, भूटान, जापान और जर्मनी के कई विद्यार्थी समय-समय पर आकर यहां शिक्षा लेते हैं.
संस्कृत महाविद्यालय में शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्र वेद केंद्रों की स्थापना को भाषा के उत्थान में महत्वपूर्ण कदम मानते हैं. छात्रों का यह भी मानना है कि इससे भविष्य में रोजगार बढ़ने की संभावनाएं भी बढ़ेंगी.
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First published: November 26, 2019, 12:41 PM IST
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