हरिद्वार फॉरेस्ट डिविजन के श्यामपुर रेंज में बाघिन का मिला शव
देहरादून. हरिद्वार फॉरेस्ट डिविजन (Haridwar Forest Division) की श्यामपुर रेंज में शनिवार को एक बाघिन की मौत (Tigress Death) हो गई. बिग कैट की मौत की सूचना मिलते ही फॉरेस्ट अफसरों में हड़कंप मच गई. हरिद्वार फॉरेस्ट डिविजन के अफसर आनन-फानन में मौके पर पहुंच गए. तीन डाक्टरों के पैनल से मृत बाघिन का पोस्टमॉर्टम करवाया जा रहा है. हरिद्वार फॉरेस्ट डिविजन के डीएफओ (DFO) नीरज शर्मा के मुताबिक मृत बाघिन की उम्र सात से आठ साल के बीच है. शुरुआती तौर पर उसकी नेचुरल डेथ लग रही है लेकिन मौत का असली कारण पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगा.
घटना हरिद्वार फॉरेस्ट डिविजन के श्यामपुर रेंज के पीली क्षेत्र की है. युवा बाघिन की मौत से कई सवाल उठ रहे हैं. सवाल इसलिए भी कि इस पीली एरिया में बड़ी मात्रा में गुर्जर परिवार रहते हैं. कोई बाघ जब कभी गुर्जरों के जानवरों को अपना शिकार बनाता है तो वन विभाग उनको मुआवजा नहीं देता. इसका नतीजा यह होता है कि गुर्जर ज़हर देकर या अन्य तरीकों से बाघ या गुलदार को मार डालते हैं. हरिद्वार डिवीजन में पहले भी इस तरह की घटनाएं सामने आई हैं.
किसी शेडयूल वन जानवर की मौत की इस साल की यह पहली घटना है. पिछले साल उत्तराखंड में छह बाघों की मौत हुई थी जिनमें से हरिद्वार फॉरेस्ट डिविजन में हुई एक बाघ की मौत भी शामिल है.
20 वर्षों में लगभग दो हजार बड़े जंगली जीवों की हुई मौत
बता दें कि पिछले बीस वर्षों में उत्तराखंड में 157 बाघों की मौत हो चुकी है. इनमें से सोलह बाघ एक्सीडेंट में मारे गए, जबकि 14 बाघों की मौत का कारण पता नहीं चल सका. वहीं इस अवधि में 450 हाथियों की भी मौत हुई है. जिनमें से 27 हाथियों की मौत अकेले वर्ष 2020 में हुई. सबसे डरावने आंकड़े गुलदारों के रहे हैं. पिछले बीस वर्षों के दौरान राज्य में 1,404 गुलदारों की मौत हुई. इनमें 41 गुलदार तस्करों द्वारा मार गिराए गए तो 65 गुलदारों को आदमखोर घोषित करना पड़ा. जिन्हें बाद में शूट कर दिया गया. वर्ष 2020 में सबसे अधिक 129 गुलदार मारे गए.
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