जोशीमठ में मानवीय Big Story: जोशीमठ में भू-धंसाव के मद्देनजर पीएमओ ने सात केंद्रीय संस्थानों को दिशा-निर्देश दिए. पहली प्राथमिकता डेंजर-जोन में रह रहे लोगों को सुरक्षित जगह ले जाना है. ( twitter.com/Jairam_Ramesh)
जोशीमठ. उत्तराखंड के जोशीमठ में भू-धंसाव के मद्देनजर प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में रविवार को उच्च स्तरीय बैठक हुई. इस बैठक में सरकार ने सात केंद्रीय संस्थानों को स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए. सरकार ने कहा कि सबसे पहले 350 मीटर के खतरनाक दायरे में रह रहे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाएं. उनके लिए अस्थायी घर बनाएं. द नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट ऑथोरिटी (NDMA) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट (NIDM) रणनीति बनाने में राज्य सरकार की मदद करेंगे. जबकि, सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (CBRI) लोगों के अस्थाई घरों का डिजाइन तैयार करेगा.
दूसरी प्राथमिकता है यह पता लगाना की शहर में पानी लीक कहां से हो रहा है. इस लीक का पता लगाने के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाईड्रोलॉजी से कहा गया है. यह पानी मैदान से लीक हो रहा है. माना जा रहा है कि इस लीक पानी का संबंध घरों और मैदान में पड़ी दरारों से है. रुड़की आईआईटी के विशेषज्ञ जोशीमठ की मिट्टी की जांच करेंगे. उन्होंने कई जगहों से लीक हुए पानी के सैंपल पहले ही ले लिए हैं.
भूकंप की गतिविधि पर भी रहेगी नजर
पीएमओ ने अपने बयान में कहा, सभी सातों संस्थानों को उत्तराखंड सरकार के साथ मिलकर काम करना चाहिए. समय सीमा में पूरी होने वाली योजना बनानी चाहिए. भूकंप जैसी हलचल पर लगातार नजर रहनी चाहिए. वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी (WIHG) भूकंप की गतिविधि पर नजर रखेगा. यह संस्थान जियो-फिजिकल अध्ययन भी करेगा. इसके अलावा जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (GSI) भी इसी दिशा में जोशीमठ में कार्य करेगा.
जोशीमठ के 600 घर डेंजर जोन में
बता दें, उत्तराखंड की स्थिति का पता लगाने के लिए बोर्डर मैनेजमेंट के सचिव और एनडीएमए के सदस्य सोमवार को इलाकों का दौरा करेंगे. इधर, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने लोगों के विस्थापन के लिए पहले ही आदेश जारी कर दिए हैं. बताया जा रहा है कि यहां 600 घर डेंजर जोन में हैं. इनकी जांच के बाद जो रिपोर्ट आएगी सरकार उसके मुताबिक ही इन घरों को ढहाने का फैसला करेगी.
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