यात्रियों की जान से खेल रहा है युकाडा? टेंडर की शर्तें पूरी न करने वाली हैलि कंपनियों को उड़ने की इजाज़त!

युकाडा ने इस बार दो ऐसी हैलि कंपनियों को भी केदारनाथ हैलिकॉप्टर सेवा के टेंडर मिल गए हैं जो टेंडर की शर्तें पूरी ही नहीं कर रही हैं.
यात्रा सीज़न में लाखों की संख्या में पर्यटक हैलि सेवा का इस्तेमाल करते हैं. एक हैलिपैड संचालक पूछते हैं कि क्या लोगों की ज़िंदगी के साथ एक्सपेरिमेंट किया जा सकता है?
- News18 Uttarakhand
- Last Updated: May 29, 2019, 7:38 PM IST
हिचकोले खाते हुए चारधाम हैलिकॉप्टर सर्विस शुरू तो हुई लेकिन इसके साथ ही विवाद भी शुरु हो गए. दरअसल युकाडा ने इस बार दो ऐसी हैलि कंपनियों को भी केदारनाथ हैलिकॉप्टर सेवा के टेंडर मिल गए हैं जो टेंडर की शर्तें पूरी ही नहीं कर रही हैं. अब एविएशन व्यवसाय से जुड़े लोग इन दोनों कंपनियों को टेंडर दिए जाने पर सवाल उठा रहे हैं.
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केदारनाथ में हैलि सर्विस का टेंडर मिलना सोने की फ़सल काटने जैसा माना जाता है. हैलि कंपनियां करोड़ों रुपये का मुनाफ़ा कमाकर यात्रा के बाद निकल लेती हैं लेकिन चिंताजनक बात यह है कि यह सब श्रद्धालुओं की जान से खेलकर भी हो रहा है. यात्रा के दौरान ज़्यादा से ज़्यादा पैसा कमाने की होड़ में हैलि कम्पनियां तो नियमों को ताक पर रखती ही हैं विभाग भी नियमों को लागू करवाने में अक्षम नज़र आता है.
डिफॉल्टर कंपनियों को उड़ान की इजाज़त युकाडा ने इस बार केदारनाथ में ऐसी दो कंपनियों को केदारनाथ में उड़ान भरने की अनुमति दी है जो टेंडर की शर्तों के मुताबिक राज्य में संचालन नहीं कर सकतीं. केदारनाथ हैलि सेवा के टेंडर की शर्तों के अनुसार वही कंपनी राज्य में हैलिकाप्टर का संचालन कर सकती है जिसका दो साल के समय में कोई एक्सीडेंट न हुआ हो. लेकिन जिन दो कंपनियों पर सवाल उठाए जा रहे हैं उनका ट्रैक रिकॉर्ड इसके मुताबिक साफ़ नहीं है.
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इनमें से एक कंपनी का हैलिकॉप्टर बदरीनाथ में क्रैश हुआ था. उस हादसे में को-पायलट की मौत हो गई थी. दूसरी कंपनी के 9 सिटर प्लेन का दरवाज़ा पिथौरागढ़ से देहरादून की उड़ान में हवा में ही खुल गया था.फ़ैसले पर सवाल और जवाब
रुद्रप्रयाग के एक हैलिपैड के संचालक राजीव धर कहते हैं कि केदारनाथ की हैलि सेवा सामान्य नहीं है. यात्रा सीज़न में वहां लाखों की संख्या में पर्यटक हैलि सेवा का इस्तेमाल करते हैं. वह पूछते हैं कि डिफ़ॉल्टर साबित हो चुकी कंपनियों को कैसे वहां हैलिकॉप्टर उड़ाने की इजाज़त मिल सकती है? क्या लोगों की ज़िंदगी के साथ एक्सपेरिमेंट किया जा सकता है?
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लेकिन युकाडा (Uttarakhand Civil Aviation Development Authority- UCADA) के अधिकारियों को इन कंपनियों को गलत टेंडर देने की बात में कुछ भी ग़लत नज़र नहीं आ रहा. नागरिक उड्डयन सचिव दिलीप जावलकर कहते हैं कि उन्हें इस संबंध में कोई शिकायत नहीं मिली है, मिलती तो जांच की जाती. जावलकर यह भी कहते हैं कि सभी कंपनियों को नियमानुसार ही टेंडर दिए गए हैं और सुरक्षा प्रमाण पत्र उन्हें डीजीसीए से मिले हैं.
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केदारनाथ में हैलि सर्विस का टेंडर मिलना सोने की फ़सल काटने जैसा माना जाता है. हैलि कंपनियां करोड़ों रुपये का मुनाफ़ा कमाकर यात्रा के बाद निकल लेती हैं लेकिन चिंताजनक बात यह है कि यह सब श्रद्धालुओं की जान से खेलकर भी हो रहा है. यात्रा के दौरान ज़्यादा से ज़्यादा पैसा कमाने की होड़ में हैलि कम्पनियां तो नियमों को ताक पर रखती ही हैं विभाग भी नियमों को लागू करवाने में अक्षम नज़र आता है.
डिफॉल्टर कंपनियों को उड़ान की इजाज़त युकाडा ने इस बार केदारनाथ में ऐसी दो कंपनियों को केदारनाथ में उड़ान भरने की अनुमति दी है जो टेंडर की शर्तों के मुताबिक राज्य में संचालन नहीं कर सकतीं. केदारनाथ हैलि सेवा के टेंडर की शर्तों के अनुसार वही कंपनी राज्य में हैलिकाप्टर का संचालन कर सकती है जिसका दो साल के समय में कोई एक्सीडेंट न हुआ हो. लेकिन जिन दो कंपनियों पर सवाल उठाए जा रहे हैं उनका ट्रैक रिकॉर्ड इसके मुताबिक साफ़ नहीं है.
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इनमें से एक कंपनी का हैलिकॉप्टर बदरीनाथ में क्रैश हुआ था. उस हादसे में को-पायलट की मौत हो गई थी. दूसरी कंपनी के 9 सिटर प्लेन का दरवाज़ा पिथौरागढ़ से देहरादून की उड़ान में हवा में ही खुल गया था.फ़ैसले पर सवाल और जवाब
रुद्रप्रयाग के एक हैलिपैड के संचालक राजीव धर कहते हैं कि केदारनाथ की हैलि सेवा सामान्य नहीं है. यात्रा सीज़न में वहां लाखों की संख्या में पर्यटक हैलि सेवा का इस्तेमाल करते हैं. वह पूछते हैं कि डिफ़ॉल्टर साबित हो चुकी कंपनियों को कैसे वहां हैलिकॉप्टर उड़ाने की इजाज़त मिल सकती है? क्या लोगों की ज़िंदगी के साथ एक्सपेरिमेंट किया जा सकता है?
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लेकिन युकाडा (Uttarakhand Civil Aviation Development Authority- UCADA) के अधिकारियों को इन कंपनियों को गलत टेंडर देने की बात में कुछ भी ग़लत नज़र नहीं आ रहा. नागरिक उड्डयन सचिव दिलीप जावलकर कहते हैं कि उन्हें इस संबंध में कोई शिकायत नहीं मिली है, मिलती तो जांच की जाती. जावलकर यह भी कहते हैं कि सभी कंपनियों को नियमानुसार ही टेंडर दिए गए हैं और सुरक्षा प्रमाण पत्र उन्हें डीजीसीए से मिले हैं.
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First published: May 29, 2019, 5:15 PM IST