देहरादून. उत्तराखंड के वन विभाग ने एक ग्राम प्रधान और 149 अन्य ग्रामीणों के खिलाफ वन्यजीव संरक्षण एक्ट व अन्य कानूनों के तहत एफआईआर दर्ज की क्योंकि एक बड़ी भीड़ ने सात साल के तेंदुए को वन विभाग के अफसरों की मौजूदगी में ज़िंदा जलाया था. पौड़ी गढ़वाल के इस मामले में बड़ी कार्रवाई हुई और तमाम ग्रामीणों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया. अधिकारियों के मुताबिक इसी महीने एक महिला को शिकार बनाने वाले तेंदुए को लोगों ने आदमखोर मानकर गुस्से में फूंक दिया था.
बीते मंगलवार को हुई इस हिंसक घटना के बारे में अभी यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि ग्रामीणों ने जिस तेंदुए को बेरहमी से मारा, वह हमलावर आदमखोर ही था या कोई और. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक ज़िला वन अधिकारी मुकेश शर्मा ने कहा, 47 वर्षीय सुषमा देवी सपलोड़ी गांव में 15 मई को एक तेंदुए का शिकार हुई थी. इसके बाद वन विभाग ने प्रभावित क्षेत्र में तेंदुए को पकड़ने के लिए दो पिंजरे भी रखे थे.
शर्मा के बयान के अनुसार, ‘मंगलवार सुबह 5.20 बजे सूचना थी कि एक तेंदुआ पिंजरे में फंसा. वन विभाग के अफसर मौके पर पहुंचे तो वहां भीड़ गुस्से में थी. ग्राम प्रधान के साथ ही सपलोड़ी के साथ ही और तीन चार गांवों के लोगों ने पिंजरे में पेट्रोल छिड़ककर सूखी घास फेंककर आग लगा दी.’ शर्मा का कहना है कि यह वही हमलावर तेंदुआ था, जिस पर ग्रामीण नाराज़ थे, यह अभी पुष्ट नहीं है.
पहले भी हो चुकी है ऐसी बर्बरता
इसी तरह की एक घटना 2011 में भी हुई थी. तब भी पौड़ी ज़िले के ही धमधार गांव में एक तेंदुए को वन और पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में ही ज़िंदा जला दिया गया था. उस मामले में भी एक केस दर्ज हुआ था लेकिन बाद में वापस ले लिया गया था. ज़्यादातर ऐसा होता है कि आदमखोर हो जाने वाले जंगली जानवरों के लिए वन विभाग पेशेवर शिकारियों की मदद लेता है.
इस साल भी टिहरी ज़िले में एक लड़के को शिकार बनाने वाले एक तेंदुए के शिकार के लिए वन विभाग ने शिकारी हायर किए थे, जिन्होंने आदमखोर को निशाना बनाया था. एक अनुमान के मुताबिक इस साल अब तक उत्तराखंड में तेंदुए के हमलों में करीब एक दर्जन लोग मारे जा चुके हैं.
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