देहरादून. उत्तराखंड में स्कूल खुलते ही प्राइवेट स्कूलों की फीस को लेकर मनमानी दिखने लगी है. कुछ प्राइवेट स्कूल जहां एनसीईआरटी के अलावा दूसरे पब्लिशर्स की किताबें भी लगवा रहे हैं, तो वहीं डेवलपमेंट चार्ज के नाम पर भी स्कूल फीस ली जा रही है. हालांकि उत्तराखंड में 30 फीसदी प्राइवेट स्कूल चैरिटी के नाम पर चल रहे हैं, लेकिन यहां चैरिटी तो छोड़िए पेरेन्ट्स से फीस के नाम पर लूट फिर से शुरू हो गई है.
इससे पहले कोविड 19 के दौरान सिर्फ ट्यूशन फीस लेने का ही नियम था, लेकिन स्कूल के खुलते ही फीस चार्ज में 10 फीसदी तक का इजाफा कर दिया गया है. यही नहीं, ट्यूशन फीस में भी 5 से 7 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी कर दी गई है. इसके बाद पेरेन्ट्स एसोसिएशन में इस तरह के मामले आने लगे हैं. जबकि मुख्य शिक्षा अधिकारी मुकुल सती कहते हैं कि हम शिकायत आने पर ही कार्यवाही कर सकते हैं.
कोर्ट ने कही थी ये बात
बता दें कि कोर्ट के साफ तौर पर निर्देश हैं कि प्राइवेट पब्लिशर्स की भी वही बुक्स लग सकती हैं जिनके रेट एनसीईआरटी की बुक्स से कम हों. हालांकि ऐसा होता नहीं दिख रहा है. पूर्व बाल आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी कहती हैं कि अधिकारी जब तक इच्छाशक्ति नहीं दिखाएंगे तब तक प्राइवेट स्कूल के खिलाफ एक्शन नहीं होने वाला, क्योंकि ज्यादातर प्राइवेट स्कूल में पॉलिटिशन का इंवॉल्वमेंट रहता है.
चैरिटी के नाम पर चल रहे स्कूल खुद तो कई मदों में छूट ले रहे हैं, लेकिन पेरेन्ट्स की जेब पर फीस का भार बढ़ रहा है और यह तब तक ठीक नहीं होने वाला जब तक एक ठोस फीस एक्ट लागू न हो जाए. बता दें कि फीस बढ़ाने का मुद्दा पहले भी उत्तराखंड में हावी रहा है. वहीं, इस बार भी यह शुरू हो गया है. वहीं, प्राइवेट स्कूलों की मनमानी को लेकर उत्तराखंड सरकार क्या कदम उठाती है, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा.
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