बंदरों को वर्मिन घोषित किए जाने का विरोध... संत समाज ने कहा यह प्रस्ताव स्वीकार्य नहीं

उत्तराखंड में बंदर आबादी क्षेत्र में तो घुस ही जाते हैं इनकी वजह से पहाड़ों में खेती करना भी मुश्किल हो गया है. (फ़ाइल फ़ोटो)
हिमाचल प्रदेश में (Himachal) इसी साल की शुरुआत में बंदरों को वर्मिन घोषित करने के प्रस्ताव को केंद्र से अनुमति मिली है जिसके बाद उत्तराखंड (Uttarakhand) ने भी इस दिशा में कदम उठाया है.
- News18 Uttarakhand
- Last Updated: November 26, 2019, 7:41 PM IST
ऋषिकेश. उत्तराखंड के राज्य वन्य जीव बोर्ड के बंदरों (monkeys) को वर्मिन (vermin) यानी कि खेती के लिए नुक़सानदेह घोषित करने के प्रस्ताव से संत समाज (sant samaj) में नाराज़गी है. ऋषिकेश में संत समाज का कहना है कि अगर केंद्र सरकार उत्तराखंड वन्य जीव बोर्ड (Uttarakhand wildlife board) के इस प्रस्ताव को मंज़ूरी दे देती है तो वह उसका सड़क पर उतरकर विरोध करेंगे. संतों का कहना है कि बंदर हिंदुओं (Hindu) के लिए पूजनीय हैं और इसलिए इस प्रस्ताव को किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जा सकता.
प्रस्ताव को मंज़ूरी
बता दें कि मंगलवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में राज्य वन्य जीव बोर्ड की 14वीं बैठक में बंदरों को वर्मिन घोषित करने को मंज़ूरी दी गई. इस बैठक में वन मंत्री और वन विभाग के अदिकारी भी मौजूद थे. अब इस प्रस्ताव को केंद्रीय वन्य जीव बोर्ड को भेजा जाएगा और इसकी मंज़ूरी के बाद बंदरों को वर्मिन घोषित कर दिया जाएगा.
बता दें कि बंदरों को वर्मिन यानी कि खेती के लिए नुक़सानदेह घोषित करने के बाद उन्हें मारा जा सकता है. हिमाचल प्रदेश में इसी साल की शुरुआत में बंदरों को वर्मिन घोषित करने के प्रस्ताव को केंद्र से अनुमति मिली है जिसके बाद उत्तराखंड ने भी इस दिशा में कदम उठाया है.खेती के दुश्मन
यहां इस बात का ज़िक्र करना ज़रूरी है कि उत्तराखंड में, ख़ासकर पहाड़ी क्षेत्रों में, बंदर और सूअर खेती के लिए सबसे बड़ी समस्या बने हुए हैं. इनकी वजह से खेती एक दुष्कर काम हो गया है और लोग खेती छोड़कर पलायन कर रहे हैं.
बीते साल सूअर के आबादी में प्रवेश और खेती को नुक़सान पहुंचाने की सूरत में उन्हें मारने की अनुमति दी गई थी.संत समाज का विरोध
लेकिन संत समाज इस प्रस्ताव के विरोध में आ गया है. ऋषिकेश में पुरोहित रवि शास्त्री ने कहा कि बंदर ही नहीं हिंदू धर्म किसी भी जानवर को मारने की अनुमति नहीं देता.
महंत प्रफुल्ल आचार्य ने कहा कि बंदर हिंदुओं के लिए पूजनीय हैं और किसी भी सूरत में उन्हें मारने की बात को स्वीकार नहीं किया जाएगा. संत समाज सड़क पर आकर इसका विरोध करेगा.
ये भी देखें:
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प्रस्ताव को मंज़ूरी
बता दें कि मंगलवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में राज्य वन्य जीव बोर्ड की 14वीं बैठक में बंदरों को वर्मिन घोषित करने को मंज़ूरी दी गई. इस बैठक में वन मंत्री और वन विभाग के अदिकारी भी मौजूद थे. अब इस प्रस्ताव को केंद्रीय वन्य जीव बोर्ड को भेजा जाएगा और इसकी मंज़ूरी के बाद बंदरों को वर्मिन घोषित कर दिया जाएगा.
बता दें कि बंदरों को वर्मिन यानी कि खेती के लिए नुक़सानदेह घोषित करने के बाद उन्हें मारा जा सकता है. हिमाचल प्रदेश में इसी साल की शुरुआत में बंदरों को वर्मिन घोषित करने के प्रस्ताव को केंद्र से अनुमति मिली है जिसके बाद उत्तराखंड ने भी इस दिशा में कदम उठाया है.खेती के दुश्मन
यहां इस बात का ज़िक्र करना ज़रूरी है कि उत्तराखंड में, ख़ासकर पहाड़ी क्षेत्रों में, बंदर और सूअर खेती के लिए सबसे बड़ी समस्या बने हुए हैं. इनकी वजह से खेती एक दुष्कर काम हो गया है और लोग खेती छोड़कर पलायन कर रहे हैं.
बीते साल सूअर के आबादी में प्रवेश और खेती को नुक़सान पहुंचाने की सूरत में उन्हें मारने की अनुमति दी गई थी.
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लेकिन संत समाज इस प्रस्ताव के विरोध में आ गया है. ऋषिकेश में पुरोहित रवि शास्त्री ने कहा कि बंदर ही नहीं हिंदू धर्म किसी भी जानवर को मारने की अनुमति नहीं देता.
महंत प्रफुल्ल आचार्य ने कहा कि बंदर हिंदुओं के लिए पूजनीय हैं और किसी भी सूरत में उन्हें मारने की बात को स्वीकार नहीं किया जाएगा. संत समाज सड़क पर आकर इसका विरोध करेगा.
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First published: November 26, 2019, 7:33 PM IST
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