हरिद्वार सांसद रमेश पोखरियाल निशंक को मानव संसाधन विकास मंत्रालय जैसा महत्वपूर्ण विभाग देकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार दिखा दिया है कि उत्तराखंड का उनके लिए क्या महत्व है. मानव संसाधन मंत्रालय सबसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों में से एक है और यह काफ़ी ज़िम्मेदारी काफ़ी बड़ी भी मानी जाती है. बता दें कि उत्तराखंड राज्य के करीब 19 साल के इतिहास में किसी नेता को इतनी बड़ी ज़िम्मेदारी नहीं दी गई. उत्तराखंड से प्रधानमंत्री का लगाव इससे भी पता चलता है कि 5 साल के कार्यकाल में कोई भी प्रधानमंत्री इतनी बार उत्तराखंड नहीं आया है जितना प्रधानमंत्री मोदी.
पहले सीधे कैबिनेट मंत्री नहीं बना कोई
यह भी ध्यान देने वाली बात है कि निशंक से पहले उत्तराखंड के किसी भी नेता को प्रधानमंत्री के साथ ही कैबिनेट मंत्री नहीं बनाया गया था. निशंक से पहले कैबिनेट विस्तार में राज्य के चार नेताओं को केंद्रीय कैबिनेट में जगह मिली है. वाजपेयी सरकार में बीसी खंडूड़ी को सड़क, परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया था. 2003 में उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया. इसी दौरान बच्ची सिंह रावत को साइंस एंड टेक्नोलॉजी राज्य मंत्री बनाया गया. मनमोहन सरकार के दूसरे कार्यकाल में हरीश रावत को राज्यमंत्री, कृषि और खाद्य प्रसंस्करण इंडस्ट्री के साथ संसदीय कार्यमंत्री बनाया गया था.
उत्तराखंड को देवभूमि कहा तो जाता है लेकिन शायद यह कहना ग़लत नहीं होगा कि नरेंद्र मोदी ऐसे प्रधानमंत्री रहे हैं जो इसे देवभूमि मानते भी हैं. बाबा केदारनाथ के प्रति उनकी अटूट आस्था है और शायद यही उन्हें बार-बार देवभूमि खींच लाती है. प्रधानमंत्री बनने के बाद पांच सालों में जितनी बार वह देवभूमि आए हैं उतना पहले कोई और प्रधानमंत्री नहीं आया.
देवभूमि से संबंध
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उत्तराखंड से लगाव आज का भी नहीं है. करीब 33 साल पहले जब मोदी राजनीति में नहीं थे तब उन्होंने केदारनाथ के ही नजदीक गरुड़चट्टी में साधना की थी. इसके बाद से वह लगातार उत्तराखंड और केदारनाथ आते रहे हैं.
2013 में केदारनाथ त्रासदी के दौरान भी मोदी उत्तराखंड आए थे और आपदा पीड़ितों को सहायता की पेशकश भी की थी. राजनीतिक कारणों से उस समय वह पेशकश ठुकरा दी गई थी लेकिन केदारनाथ ने उन्हें फिर उत्तराखंड के लिए काम करने का मौका दिया. प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने केदारपुरी के पुनर्निर्माण का बीड़ा उठाया और आज यह अलग सूरत में नज़र आती है.
इसके अलावा चार धाम ऑल वेदर रोड परियोजना भी प्रधानमंत्री की ही पहले से शुरु हुई जो अगले साल पूरी हो जाएगी. ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल प्रोजेक्ट पर काम भी प्रधानमंत्री मोदी के उत्तराखंड से लगाव के चलते शुरु हो पाया.
एक नज़र कब-कब उत्तराखंड आए प्रधानमंत्री मोदीः
प्रधानमंत्री बनने के बाद सबसे पहले 11 सितंबर, 2015 को निजी दौरे पर ऋषिकेश आए जहां उन्होंने अपने गुरु स्वामी दयानंद गिरी से मुलाकात की.
27 दिसंबर, 2016 में उन्होंने देहरादून में चारधाम को जोड़ने वाली ऑल वेदर रोड परियोजना की आधारशिला रखी.
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2017 में प्रधानमंत्री ने तीन दिन में चार स्थानों पर जनसभाएं कीं.
3 मई, 2017 को केदारनाथ के कपाट खुलने के अवसर पर मौजूद रहे.
5 अक्टूबर, 2017 को मसूरी में लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी आए.
20 अक्टूबर, 2018 को केदारनाथ के कपाट बंद होने के अवसर पर भी प्रधानमंत्री पहुंचे.
26 और 27 अक्टूबर, 2018 को दो दिन लाल बहादुर शास्त्री प्रशासनिक अकादमी में प्रशिक्षु आईएएस के साथ बिताए.
21 जून, 2018 को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के कार्यक्रम के लिए देहरादून का चयन किया.
8 अक्टूबर, 2018 को देहरादून में आयोजित इन्वेस्टर्स समिट का शुभारंभ किया.
7 नवंबर, 2018 को केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने के मौके पर केदारनाथ पहुंचे.
14 फरवरी, 2019 को उत्तराखंड के जिम कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व पहुंचे.
28 मार्च, को रुद्रपुर और पांच अप्रैल को देहरादून में जनसभा की.
चुनाव के अंतिम चरण में 18 मई को एक फिर मोदी केदारनाथ पहुंचे. जहां उन्होंने केदारनाथ धाम के ऊपर गुफ़ा में 18 घंटे साधना की.
इस तरह पांच साल के कार्यकाल में प्रधानमंत्री कुल 14 बार उत्तराखंड आए हैं. देवभूमि के लिए उनका सम्मान मंत्रिमंडल में रमेश पोखरियाल निशंक को शामिल करने के साथ भी दिखा है. हालांकि उत्तराखंड के लोगों ने भी उनका पूरा साथ दिया है और न सिर्फ़ लोकसभा चुनावों में बल्कि विधानसभा चुनावों में भी उनके नाम पर वोट किया है.