देहरादून. 2017 को अपवाद मानें, तो उत्तराखंड में कुल 70 विधानसभा सीटों में से बहुमत के लिए 36 जुटा पाना हर पार्टी के लिए हमेशा टेढ़ी खीर रहा है. ऐसे में, जबकि 2022 विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, भाजपा और कांग्रेस के साथ ही अन्य पार्टियों के भीतर असंतोष जिस तरह नज़र आ रहा है, अंदेशा यही है कि हर पार्टी के गणित भीतर की बगावत ही बिगाड़ सकती है. हालांकि नामांकन वापसी की अंतिम तिथि 31 जनवरी है इसलिए पार्टियों को यह उम्मीद भी है कि उनके प्रत्याशियों के खिलाफ बागी हुए नेताओं को मैनैज कर लिया जाएगा.
राज्य में खास तौर पर, भाजपा और कांग्रेस के भीतर बगावत के रंग दो ढंग से दिख रहे हैं. एक तो नाराज़ नेता घोषित या अधिकृत प्रत्याशियों से अलग चुनावी मैदान में निर्दलीय उतर रहे हैं या दूसरे किसी और पार्टी से टिकट जुगाड़ रहे हैं. इन दोनों तरीकों की दो बड़ी मिसालें इस तरह हैं. रुद्रपुर सीट से बीजेपी के मौजूदा विधायक (क्लिपिंग विवादों में रहने वाले) राजकुमार ठुकराल ने टिकट न मिलने पर निर्दलीय के तौर पर परचा भर दिया है. वहीं, हॉट सीट बन गई टिहरी पर कांग्रेस के पूर्व प्रदेश प्रमुख किशोर उपाध्याय ने बीजेपी से टिकट पाया है, तो बीजेपी के सिटिंग विधायक धनसिंह नेगी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं.
लालकुआं, रामनगर… कांग्रेस पर भारी पड़ेंगे बागी?
कांग्रेस ने पूर्व सीएम हरीश रावत की सीट रामनगर से बदलकर लालकुआं की, तो यहां पहले उम्मीदवार घोषित की गईं संध्या डालाकोटी को मनाने के लिए रावत ने मुलाकात भी की, लेकिन संध्या ने निर्दलीय परचा भर दिया है. इधर, रामगनर में भी मान मनौव्वल की तमाम कोशिशों के बावजूद कांग्रेस में बगावत हो गई. कांग्रेस ने महेंद्र पाल को रामनगर से प्रत्याशी बनाया, तो हरीश रावत समर्थक संजय नेगी ने निर्दलीय के तौर पर नॉमिनेशन फ़ाइल कर दिया है.
कांग्रेस की परेशानी दो नहीं, बल्कि और भी कुछ सीटों पर है. बागेश्वर में बागी हुए भैरवनाथ टम्टा ने परचा भरा है, तो सहसपु सीट से कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री और पूर्व राज्यमंत्री आकिल अहमद ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर ताल ठोक दी है. उन्होंने कहा कि कांग्रेसी लंबे समय से सहसपुर पर स्थानीय को टिकट की मांग कर रहे थे, लेकिन पार्टी ने बाहरी को टिकट दिया, तो कार्यकर्ता नाराज़ हैं. इस तरह की नाराज़गी कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है.
भाजपा के भीतर कैसे हो रही है बगावत?
कोटद्वार सीट बीजेपी के लिए अखाड़ा बन गई है. यहां से पूर्व सीएम बीसी खंडूरी की बेटी और विधायक ऋतु खंडूरी को भाजपा ने टिकट दिया, तो दावेदारी करने वाले पूर्व जिलाध्यक्ष धीरेंद्र चौहान ने निर्दलीय के तौर पर हुंकार भर दी. चौहान का टिकट लगभग तय था, लेकिन ऐन वक्त पर बदलाव हुआ, तो वह बागी हो गए. ऐसे ही यमुनोत्री से पूर्व राज्य मंत्री जगबीर भंडारी को टिकट की आस थी, लेकिन अब वो भी निर्दलीय हैं.
ये है बागियों की बढ़ती जा रही लिस्ट
1. कालाढूंगी में बीजेपी के बड़े नेता गजराज बिष्ट निर्दलीय लड़ेंगे.
2. भीमताल में बीजेपी के मनोज शाह बतौर निर्दलीय मैदान में उतरे.
3. धनौल्टी सीट पर बीजेपी के बड़े नेता महावीर रांगड़ घोषित प्रत्याशी के विरोध में आए.
4. घनसाली में बीजेपी के दर्शन लाल बागी हो गए.
5. किच्छा से भाजपा के बागी अजय तिवारी ने नामांकन भर दिया.
6. नानकमत्ता में भाजपा से नाराज़ मुकेश राणा भी निर्दलीय हुए.
7. किच्छा सीट से कांग्रेस के बागी हरीश पनेरू अपने दम पर मैदान में.
8. यमुनोत्री सीट से कांग्रेस के संजय डोभाल ने बगावत की.
9. केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के प्रत्याशी के खिलाफ सुमन तिवारी ने परचा भर दिया.
10. ऋषिकेश सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी जयेंद्र रमोला के विरोध में बागी शूरवीर सिंह सजवान ने नामांकन भरा.
दलबदल भी पार्टियों के लिए संकट होगा?
सहसपुर में आज़ाद अली कांग्रेस से आप में चले गए, तो वहीं नैनीताल में पिछले दो चुनाव हार चुके बीजेपी के हेम आर्य अब आप के उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं. ऐसा ही कुछ टिहरी सीट पर दिखा, जहां धनसिंह नेगी और किशोर उपाध्याय अब विरोधी खेमे से लड़ते दिखेंगे. बाजपुर में बीजेपी से विजयपाल जाटव, सितारगंज में कांग्रेस के असंतुष्ट पूर्व विधायक नारायण पाल और खटीमा में आप छोड़कर रमेश राणा बसपा के प्रत्याशी बन गए. ऐसी सीटों पर कार्यकर्ता उलझन में है कि वो अब किस तरह अपने प्रत्याशी का प्रचार जनता के बीच करें.
पार्टियों के लिए क्या है उम्मीद की किरण?
बगावत के इस पूरे ब्योरे से साफ है कि भाजपा और कांग्रेस के भीतर कार्यकर्ताओं की निष्ठा सवालों के घेरे में है, जो वोट कटने, बंटने और पत्ते साफ होने जैसे नतीजों में तब्दील हो सकती है. इस पूरे मामले में कांग्रेस के उत्तराखंड प्रभारी देवेंद्र यादव ने कहा, ‘एक दो सीटों को छोड़कर हर जगह असंतुष्टों को मैनेज कर लिया गया है. 31 जनवरी तक कोई भी बागी मैदान में नहीं होगा और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ेगी. वहीं, भाजपा की प्रवक्ता नेहा जोशी का भी दावा है कि भाजपा का अनुशासन ऐसा है कि थोड़ा समय लगे, पर सभी एकजुट हो जाएंगे.
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