देहरादून. उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat) आखिर ऐन वक्त पर चुनाव लड़ने से क्यों इनकार कर दिया? इसे लेकर कई तरह की कयासबाजियां शुरू हो गई हैं. एक वजह यह भी सामने आ रही है कि अभी तक पार्टी ने डोईवाला विधानसभा सीट (Doiwala Assembly Constituency) पर उनकी दावेदारी को लेकर पर्दा डाल रखा था. बताया जा रहा है कि उन्होंने चुनाव लड़ने की पूरी तैयारी कर ली थी. इसी बीच पार्टी सूत्रों से मीडिया में यह खबरें तैरने लगीं की भाजपा डोईवाला में नया चेहरा तलाश रही है. संभव हो कि इसी नाराजगी की वजह से उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखकर चुनाव लड़ने से ही मना कर दिया.
दरअसल, डोईवाला भाजपा का मजबूत गढ़ है. एक उपचुनाव को छोड़कर यहां से भाजपा कभी चुनाव नहीं हारी है. त्रिवेंद्र सिंह रावत तीन बार यहां से चुनकर विधानसभा पहुंचे हैं. पिछले बार भी वह यहीं से जीते थे. भाजपा के इस मजबूत दुर्ग को भेदना कांग्रेस के लिए एक सपने जैसा है. भाजपा के त्रिवेंद्र सिंह रावत 2002 और 2007 में कांग्रेस के वीरेंद्र मोहन उनियाल को हराकर डोईवाला से जीत हासिल की था. 2012 में रमेश पोखरियाल निशंक (Ramesh Pokhariyal Nishank) के यहां से चुनाव लड़ने की वजह से पार्टी ने त्रिवेंद्र को रायपुर सीट भेज दिया था. जहां वह उमेश शर्मा काऊ से चुनाव हार गए थे.
उपचुनाव में हारे थे त्रिवेंद्र
2014 में निशंक के सांसद बनने के बाद हुए उपचुनाव में त्रिवेंद्र डोईवाला में कांग्रेस के हीरा सिंह बिष्ट (Hira Singh Bisht) हार गए थे. 2017 में फिर त्रिवेंद्र यहां से जीतकर मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे. इस बार भी त्रिवेंद्र सिंह रावत प्रबल दावेदार बताए जा रहे थे. हालांकि चर्चाओं में यह भी था कि पार्टी यहां से दूसरे विकल्प भी तलाश रही है. बताया जा रहा है कि हरक सिंह रावत की भी इस सीट पर नजर थी.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |
Tags: Assembly elections, UK Assembly Elections, Uttarakhand Assembly Election 2022