उत्तराखंड में हालिया आपदा की ज़िम्मेदारी को लेकर विभागों के बीच तनातनी है.
देहरादून. उत्तराखंड में भारी बारिश से आई हालिया आपदा को लेकर बड़ा सवाल यह खड़ा हुआ है कि क्या सरखेत में जानें बचाई जा सकती थीं? इस सवाल के जवाब से पहले विडंबना यह है कि आपदा का ठीकरा अब विभाग एक दूसरे पर फोड़ने लगे हैं. मौसम विज्ञान केन्द्र उत्तराखंड के डायरेक्टर विक्रम सिंह ने आपदा प्रंबधन प्राधिकरण की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाकर कहा कि एडवाइजरी जारी करने के अलावा फोन भी किए गए लेकिन चेतावनी पर संजीदा रवैया प्राधिकरण ने नहीं दिखाया. इधरए प्राधिकरण मौसम विभाग के दावों का खंडन कर रहा है. इस झगड़े के बीच बड़ा अपडेट यह भी है कि टिहरी ज़िले में अब तक 5 शव बरामद किए जा चुके हैं और दून में 4 जबकि अब भी कुछ लोग आपदा के बाद मलबे में मिसिंग बताए जा रहे हैं.
सरखेत में आपदा के बाद यह सवाल खड़ा हुआ था कि मौसम विभाग ने जो अलर्ट जारी किया था, उसमें देहरादून को शामिल नहीं किया गया था. इस पर सिंह ने कहा कि 19 और 20 अगस्त को देहरादून के सरखेत में तेज़ बारिश को लेकर रात 9 बजे देहरादून जिला आपदा कंट्रोल रूम को फोन भी किया गया और अलर्ट भी किया गया. यही नहीं, 3 घंटे के नॉउकास्ट में देहरादून समेत आसपास के इलाकों में ऑरेन्ज अलर्ट भी जारी किया था. इसके बावजूद प्राधिकरण की तरफ से अलर्ट को सीरियसली नहीं लिया गया वरना लोगों को अनाउंसमेंट के ज़रिये प्रभावित इलाकों से हटाया जा सकता था.
मुख्य सचिव ने मंगलवार को जब डायरेक्टर विक्रम सिंह से अलर्ट को लेकर सवाल किया था. मौसम केंद्र के अलावा आपदा प्रबंधन के अधिकारी भी इस दौरान मौजूद थे. सिंह ने नाराजगी जताकर कहा कि आपदा को लेकर अलर्ट के बावजूद तैयारी पूरी नही रही. सिंह ने कहा कि आपदा कंट्रोल रूम में एडवाइज़री देने के अलावा मौसम केंद्र के डयूटी ऑफिसर ने रात 9 बजे फोन पर भी जानकारी दी थी. इधर, आपदा कंट्रोल रूम का कहना है “अलर्ट को गंभीरता से लिया जाता है और पूरी तैयारी की जाती है. 19 और 20 अगस्त को मौसम केंद्र ने यलो अलर्ट दिया था, रात में ऑरेंज अलर्ट जारी किया.”
चंद घंटों की बारिश से दून समेत कुछ और ज़िलों में इन्फ्रास्ट्रक्चर को जो नुकसान हुआ, उसे ठीक करने में लंबा समय लग सकता है. रिटायर्ड मौसम वैज्ञानिक एमएम सकलानी ने कहा कि बदलते मौसम का अंदाजा लगाने में मौसम विज्ञान केंद्र इस बार चूक गया. पूर्वानुमान में देहरादून ज़िले का जिक्र तक नहीं था. जानकारों के मुताबिक प्रदेश में एडवांस टेक्नोलॉजी का अभाव है. 5 दिन का जो मौसम पूर्वानुमान बताया जाता है, वह न्यूमेरिकल वेदर प्रिडक्शन के आधार पर होता है, जिसकी सटीकता के बारे में दावा नहीं किया जा सकता.
बीते शुक्रवार की रात गढ़वाल मंडल के तीन जिलों देहरादून, टिहरी और पौड़ी में बादल फटने और तेज बारिश से जान माल का बहुत नुकसान हुआ. शनिवार सुबह तक जारी रही तेज बारिश ने सिर्फ देहरादून ज़िले में ही पिछले 10 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया था. मसूरी, हरिद्वार, चकराता में 100 एमएम से ज्यादा बारिश रिकॉर्ड की गई, जबकि ऋषिकेश में 290, सहस्त्रधारा में 230 एमएम तक बारिश हुई. यूकास्ट के वैज्ञानिक मनमोहन रावत का कहना है कि सिर्फ 7-8 घंटे में में इतनी बारिश कैसे हुई? उत्तराखण्ड स्टेट कॉउंसिल फॉर साइंस एंड टेक्ननोलॉजी के वैज्ञानिक नुकसान का आंकलन करने के साथ-साथ वैाानिक यह जानने की कोशिश कर रहे हैं.
बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ गीता खन्ना ने देहरादून के मालदेवता में आपदा प्रभावित इलाके का निरीक्षण कर आपदा प्रभावितों से मुलाकत की. उन्होने कहा कि सरकार आपदा प्रभावितो के साथ है और हर संभव मदद की जाएगी. गौरतलब है कि सरखेत आपदा में जान माल का नुकसान हुआ है. देहरादून ज़िले में ही 4 लोगों की आपदा में जान जा चुकी है. ऐसे में अब भी रेस्क्यू ऑपरेशन में टीम लगी है. भोजन से लेकर अन्य ज़रूरी सामान बांटा जा रहा है. आपदा प्रभावितों की तरफ से विस्थापन की भी मांग जोरों पर है.
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Tags: Heavy rain and cloudburst, Uttarakhand Disaster, Weather department
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