रिपोर्ट : हिना आज़मी
देहरादून. इस दुनिया में डॉक्टर को भगवान का दर्जा दिया गया है क्योंकि वह इनसानों की जिंदगी बचाते हैं. एक स्वास्थ्यकर्मी के लिए किसी की जान बचाना कितना अहमियत रखता है, यह हम कोरोना काल में देख चुके हैं. उस दौर में स्वास्थ्यकर्मी अपनी जिंदगी की परवाह किए बिना मानवता की सेवा में लगे रहे. किसी को अपनी जिंदगी से हाथ धोना पड़ा, तो किसी ने अपने परिजनों को खो दिया. मानव सेवा ही एक डॉक्टर के लिए परम कर्तव्य है, इसकी मिसाल पेश की है देहरादून के पूर्व सीएमओ डॉ मनोज उप्रेती ने.
सीएमओ जैसे महत्वपूर्ण पद पर रहकर भी वह देहरादून के सरकारी अस्पताल में मरीजों की जरूरत को देखते हुए अल्ट्रासाउंड करने आया करते थे. अगर वह चाहते तो ऊंचे पद पर बने रह सकते थे, लेकिन उन्होंने स्वेच्छा से बतौर रेडियोलॉजिस्ट सरकारी अस्पताल में सेवा देने की मांग की थी. जिसके बाद अब देहरादून के दो सरकारी अस्पतालों में वह तीन-तीन दिन सेवाएं देंगे.
देहरादून के सरकारी अस्पतालों में मरीजों को राहत मिलने जा रही है. सरकारी अस्पतालों में रेडियोलॉजिस्ट की कमी के चलते अल्ट्रासाउंड के लिए महीनों तक का इंतजार करना पड़ता था. लेकिन अब खुद पूर्व सीएमओ डॉ मनोज उप्रेती इन अस्पतालों में जनसेवा के लिए रेडियोलॉजिस्ट के तौर पर सेवा देंगे. आमजन की परेशानियों को देखते हुए पूर्व सीएमओ ने कोई बड़ा पद लेने के बजाय रेडियोलॉजिस्ट की सेवा स्वेच्छा से मांगी है.
बता दें कि देहरादून के दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में न सिर्फ देहरादून के बल्कि उत्तराखंड राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों से भी मरीज इलाज करवाने के लिए आते हैं. लेकिन अल्ट्रासाउंड में रेडियोलॉजिस्ट की कमी के चलते मरीजों को एक-एक महीने बाद की तारीख दी जाती थी. जिसके बाद मजबूरन उन्हें निजी लैब से अल्ट्रासाउंड करवाना पड़ता था.
देहरादून के पूर्व सीएमओ डॉ मनोज उप्रेती ने इस बारे में कहा कि सरकारी अस्पतालों में मरीजों को अल्ट्रासाउंड की दिक्कत न हो, इसके लिए मैंने सेवा देने की मांग की थी. मुझे यह काम मिलने पर मैं खुश हूं.
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