15 सालों से प्रदेश की स्थाई राजधानी को लेकर सियासत का दौर जारी है. मगर प्रदेश में किसी भी राजनीकित दल ने स्थाई राजधानी घोषित करने की हिम्मत नहीं जुटाई.
भले ही प्रदेश की सत्ता में भाजपा या फिर कांग्रेस पार्टी हाथों में रही हो लेकिन बयानबाजी के अलावा कोई भी राजनीतिक दल आने नहीं निकल सका. एक बार फिर गैरसैंण में शीतकालनी सत्र हो रहा है.
स्थाई राजधानी के मुद्दें पर भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल आमने सामने है. दोनों ही दल स्थाई राजधानी के मुद्दें को एक दूसरे के पाले में डाल रहे हैं. प्रदेश महामंत्री भाजपा प्रकाश पंत का कहना है कि जब सरकार दो बार से गैरसैण में सत्र बुला रही है, तो सरकार को कम से कम यह साफ कर देना चाहिए कि प्रदेश में कि आखिर स्थाई राजधानी कहां होगी.
जब सरकार स्थाई राजधानी को घोषित नहीं कर पा रही है तो इस तरह से सत्र बुलाने का क्या औचित्य है. सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा यह है कि सरकार आखिर स्थाई राजधानी के नाम पर अवाम को कब तक भ्रमित करती रहेगी.
दरअसल भाजपा प्रदेश महामंत्री का कहना है कि सरकार ने कई बार स्थाई राजधानी की खुले मंच पर वकालत की है. मगर जब बात स्थाई राजधानी को घोषित करने की बात आती है तो सरकार मुकर जा रही है.
यह प्रदेश के अवाम के साथ धोखा है क्योंकि प्रदेश की आर्थिक स्थिति इतनी ठीक नहीं है कि दो स्थानों पर राजधानी बनाई जाए. हां इतना जरूर है कि प्रदेश की एक स्थाई राजधानी होनी चाहिए क्योंकि 15 सालों से प्रदेश की अस्थाई राजधानी देहरादून के तौर पर विकसित की जा रही है.
जहां अब तक सरकारी भवनों का विकास किया जा रहा है. भाजपा का कहना है कि अगर सरकार गैरसैंण को स्थाई राजधानी के तौर पर प्रस्ताव आता तो भाजपा इसका समर्थन करेंगी.
फिलहाल जिस तरह से राजधानी के मुद्दे को लेकर बहस चल रही है ऐसे में देखना काफी दिलचस्प होगा कि उत्तराखंड को आखिर स्थाई राजधानी कब मिलती है .
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FIRST PUBLISHED : November 01, 2015, 20:04 IST