हल्द्वानी. आखिरकार ये तय हो गया कि कांग्रेस कैंपेन कमेटी के चेयरमैन और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत कहां से चुनावी मैदान में होंगे. उत्तराखंड चुनाव के मद्दनेज़र कांग्रेस ने जैसे ही अपने प्रत्याशियों की दूसरी लिस्ट जारी की तो कई खुलासे हुए, जिनमें सबसे बड़ा तो यही रहा कि हरीश रावत नैनीताल ज़िले की रामनगर सीट से चुनाव मैदान में होंगे. अब इस घोषणा के बाद मायने निकाले जाने की चर्चा ये है कि रामनगर से चुनाव लड़ने का ख्वाब देख रहे सल्ट के पूर्व विधायक रणजीत सिंह रावत की तमाम कोशिशें हरीश रावत का रास्ता नहीं रोक सकीं. रावत के रामनगर सीट से ताल ठोकने के पीछे कारण क्या रहे?
आखिर क्यों हरीश रावत ने चुनी रामनगर सीट? रामनगर वैसे तो कुमाऊं मंडल के नैनीताल ज़िले में पड़ता है, लेकिन भौगोलिक स्ठिति गढ़वाल और कुमाऊं को जोड़ती है. गढ़वाल और कुमाऊं के पहाड़ी इलाकों से आकर बसे मतदाताओं के साथ ही मैदानी इलाकों के दलित, सिख, बनिया, मुस्लिम मतदाता यहां हैं। साथ ही, रामनगर का इलाका ऊधमसिंह नगर के तराई क्षेत्र से भी जुड़ता है. हरीश रावत कैंपेन कमेटी के चेयरमैन के साथ ही उत्तराखंड में पार्टी के सबसे बड़े चेहरे और स्टार प्रचारक हैं. ऐसे में रावत रामनगर से चुनाव लड़कर गढ़वाल और कुमाऊं के साथ ही तराई में भी पार्टी के लिए बेहतर माहौल बना सकते हैं.
ये नेता कर चुके हैं हरदा के समर्थन का ऐलान
पूर्व ब्लॉक प्रमुख संजय नेगी रामनगर ने चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे. साथ ही, महिला कांग्रेस की नैनीताल की जिलाअध्यक्ष आशा बिष्ट और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पुष्कर दुर्गापाल भी टिकट मांग रहे थे, लेकिन इन तीनों ने ही कांग्रेस आलाकमान को चिठ्ठी लिखकर अपनी दावेदारी हरीश रावत के समर्थन में वापस ले ली. तीनों के मुताबिक अगर रावत चुनाव लड़ते हैं, तो वो एकजुट होकर हरदा को चुनाव लड़ाएंगे. लेकिन दूसरे खेमे से कुछ मुश्किल भी है.
रणजीत समर्थक लड़ेंगे निर्दलीय!
इधर, रणजीत रावत समर्थक पालिका अध्यक्ष मोहम्मद अकरम और किशोरी लाल ने ऐलान किया है कि रणजीत रावत को टिकट न मिलने की शक्ल में वो निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे. ऐसे में, हरीश रावत को वोटों का थोड़ा नुकसान हो सकता है. जानकार मानते हैं कि इसके बावजूद अकरम और किशोरीलाल मिलकर भी हरीश रावत को बहुत नुकसान नहीं पहुंचा सकते क्योंकि दोनों के ही समर्थक हरीश रावत के साथ लामबंद हो जाएंगे.
रामनगर में बीजेपी-कांग्रेस के बीच दिलचस्प मुकाबला
2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने यहां से रणजीत रावत को प्रत्याशी बनाया था, जबकि बीजेपी से दीवान सिंह बिष्ट उम्मीदवार थे. इस चुनाव में बिष्ट को 35,839 वोट मिले थे और कांग्रेस के रणजीत रावत को 27,228. यानी 8611 वोटों के अंतर से भाजपा जीती. 2012 में कांग्रेस की अमृता रावत को 23,859 वोट मिले तो बीजेपी के बिष्ट को 20,122 और बीएसपी के किशोरी लाल को 11,406. इससे पहले 2007 में बिष्ट ने कांग्रेस के योगंबर सिंह को चुनाव हराया था जबकि 2002 में रामनगर से बीजेपी के बिष्ट के मुकाबले कांग्रेस के योगंबर जीते थे.
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