रिपोर्ट- पवन सिंह कुंवर, हल्द्वानी
जंगल के बीचोंबीच मां काली का प्राचीन मंदिर हल्द्वानी के गौलापार में स्थित है. कालीचौड़ मंदिर (Kalichaur Temple Haldwani) ऋषि-मुनियों की तपोस्थली रहा है. कथित तौर पर पश्चिम बंगाल के रहने वाले एक भक्त को देवी ने सपने में दर्शन दिए थे और इस जगह पर जमीन में दबी अपनी प्रतिमा के बारे में बताया था. जिसके बाद जमीन की खुदाई कर मां काली समेत सभी मूर्तियों को बाहर निकाला गया औरजंगल के बीचोंबीच ही देवी का मंदिर स्थापित किया गया, जिसे आज कालीचौड़ मंदिर नाम से जाना जाता है.
कालीचौड़ मंदिर काठगोदाम से करीब 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. मान्यता है कि मां काली मंदिर में सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद पूरी करती हैं. नवरात्रि और शिवरात्रि पर लाखों श्रद्धालु मां काली के दर्शन करने यहां आते हैं. माना जाता है कि नवरात्रि के दिन मां के मंदिर में जो पूरी श्रद्धा से शीश झुकाता है, उसके सारे दुख दूर हो जाते हैं.
जंगल के बीचोंबीच स्थापित कालीचौड़ मंदिर शांति का अहसास देता है. माना जाता है कि कालीचौड़ मंदिर प्राचीन काल से ऋषि-मुनियों की तपस्या का केंद्र रहा है.
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