पवन सिंह कुंवर
हल्द्वानी. उत्तराखंड की संस्कृति एवं विरासत बहुत समृद्ध है. सभी जनपदों के विभिन्न शहरों, कस्बों एवं गांवों में सभी सम्प्रदाय के लोग मिल-जुलकर रहते हैं. वहीं नैनीताल जिले की बात करें, तो यहां की लगभग 80 प्रतिशत आबादी हिंदू है. सभी तीज त्योहार पूरे धूमधाम से मनाए जाते हैं. पारम्परिक कुमाऊंनी बारात यहां के प्रसिद्ध छोलिया नृत्य से जीवंत हो उठती है. छोलिया नर्तकों के प्रमुख वाद्य यंत्रों में नगाड़ा, ढोल, दमाऊ, रणसिंह, भेरी, हुड़का होते हैं और नर्तक नृत्य में तलवार और ढाल का इस्तेमाल करते हैं. कुमाऊंनी कल्चर हर किसी को पसंद है. आज हम कुमाऊंनी संस्कृति से जुड़ी यह खास खबर लेकर आए हैं.
उत्तराखंड का इतिहास हमेशा से ही गौरवशाली रहा है. उत्तराखंड देवी देवताओं की आवास स्थल के साथ-साथ ऋषि मुनियों की तपोस्थली भी रहा है. यहां की संस्कृति और पारंपरिक शैली की पहचान पूरे देश दुनिया में की जाती है. इसी को देखते हुए नैनीताल के जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल ने जनपद को कुमाऊंनीऔर पारंपरिक शैली में संवारने का बीड़ा उठाया है, जहां रंगों और पेंटिंग के माध्यम से कुमाऊं की लोककला, लोक संस्कृति और यहां की विरासत की पहचान पूरे देश दुनिया तक पहुंच सके.
कुमाऊंनी संस्कृति से जुड़ी पेंटिंग पर ज़ोर
जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल ने इस बारे में कहा कि पहाड़ से जुड़े हर व्यक्ति के मन के अंदर अपनी पुरानी यादें जुड़ी हुई हैं. इसी को देखते हुए कुमाऊं की लोककला, लोक संस्कृति और परंपरा को जीवंत करने के लिए इसे पेंटिंग के माध्यम से संवारने का काम किया जा रहा है. पहले चरण में सरोवर नगरी नैनीताल में मार्केट को कुमाऊंनी संस्कृति के साथ ही कुमाऊंनी शैली से विकसित किया गया है. जिसके बाद अब भीमताल, भवाली और रामनगर के अलावा हल्द्वानी के बाजारों और पर्यटन से जुड़े स्थलों पर पेंटिंग के माध्यम से यहां की विरासत को संवारने और उसकी पहचान लोगों तक पहुंचाने का काम किया जा रहा है.
संस्कृति के बारे में करीब से जानने का मौका
जिलाधिकारी का कहना है कि रामनगर, हल्द्वानी और पहाड़ के बाजारों को कुमाऊंनी शैली में पेंटिंग के माध्यम से सजाने का काम किया जा रहा है. पहाड़ों को आने-जाने वाले सैलानियों को कुमाऊंनी कल्चर के बारे में पता चलेगा. इसके साथ ही युवा भी कुमाऊंनी कल्चर के करीब आ पाएंगे. उत्तराखंड की संस्कृति के प्रचार-प्रसार का यह शानदार आइडिया है. यही नहीं इन पेंटिंग के माध्यम से बाहर से आने वाले लोग फोटो और सेल्फी के साथ यहां की संस्कृति के बारे में करीब से जान सकेंगे.
सीएम ने की है तारीफ
कुमाऊंनी शैली में सड़क किनारे सौंदर्यीकरण के लिए जागर, कुमाऊंनी ऐपण आदि पर आधारित गांव की महिलाओं की पारम्परिक वेशभूषा, ग्रामीण रहन सहन, रणसिंह आदि पर आधारित थीम पर काम किया जा रहा है. जिलाधिकारी की इस पहल की मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी सराहना कर चुके हैं.
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