रिपोर्ट: पवन सिंह कुंवर
हल्द्वानी. उत्तराखंड के हल्द्वानी में कुमाऊं का सबसे बड़ा अस्पताल है. दरअसल सुशीला तिवारी अस्पताल (Sushila Tiwari Hospital Haldwani) में हर रोज करीब 2000 मरीज दूरदराज से इलाज के लिए पहुंचते हैं. इस दौरान अस्पताल के सभी महत्वपूर्ण विभागों में पहाड़ से आए मरीजों की भीड़ देखने को मिल रही है. वहीं, ऑपरेशन के लिए अस्पताल में लंबी वेटिंग की स्थिति है. बता दें कि मरीजों को ऑपरेशन के लिए तीन महीने तक का इंतजार करना पड़ रहा है.
कुमाऊं के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एसटीएच के सभी महत्वपूर्ण विभागों में ऑपरेशन के लिए लंबी वेटिंग है. सबसे ज्यादा दिक्कत ईएनटी, हड्डी और यूरोलॉजी विभाग के मरीजों को झेलनी पड़ रही है. एसटीएच में हर रोज औसतन 1500 से 2000 मरीज ओपीडी में परामर्श के लिए पहुंचते हैं. ओपीडी में मेडिसिन विभाग के बाद सबसे ज्यादा मरीजों की भीड़ नाक, कान, गला रोग विभाग में रहती है. इस विभाग में मरीज का ऑपरेशन होना है, तो उसे तीन माह बाद की डेट मिल रही है. मंडल भर के मरीजों के दबाव व सुविधाओं की कमी के चलते यह स्थिति पैदा हो रही है.
हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ अरुण जोशी का कहना है कि सर्जिकल वार्ड में ऐसा होता है कि वार्ड में मरीजों की संख्या काफी ज्यादा है. अस्पताल में ऐसे मरीज आ रहे हैं, जिनकी सर्जरी होनी आवश्यक है, लेकिन जो भी इमरजेंसी केस आते हैं उनका हम तुरंत ही ऑपरेशन कर देते हैं या अगले दिन की डेट दे देते हैं. एसटीएच में गंभीर मरीजों का प्राथमिकता से इलाज किया जाता है.
डॉ जोशी ने आगे कहा किजिन मरीजों के ऑपरेशन कुछ समय बाद किए जा सकते हैं, उन्हें आगे की तिथि दी जाती है. निर्धारित समय पर उनका ऑपरेशन किया जाता है. ऑर्थो और ईएनटी की सर्जरी में लंबी डेट दी जा रही है, क्योंकि डॉक्टरों को ओपीडी भी देखनी होती है. हर डिपार्टमेंट के पास ओपीडी के साथ-साथ सर्जरी की भी जिम्मेदारी होती है. सप्ताह में दो से तीन दिन सर्जरी की जाती है, लेकिन डॉक्टर द्वारा कोशिश की जाती है कि ज्यादा से ज्यादा सर्जरी हो, जिससे कि लोगों को राहत मिल सके. उन्होंने बताया कि न्यूरो विभाग में भी बड़ी संख्या में लोग सर्जरी के लिए आते हैं लेकिन सप्ताह में केवल एक दिन सर्जरी की जाती है.
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