ओम प्रयास/हरिद्वार. उत्तराखंड के हरिद्वार का पर्यटक स्थल भीमगोडा (Bhimgoda in Haridwar) एक प्राचीन स्थान है, जहां दूर-दूर से श्रद्धालु घूमने आते हैं. इस प्राचीन स्थान का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है. भीमगोडा में कई ऐसे स्थान हैं, जो दर्शनीय हैं. हरिद्वार में हर की पौड़ी से महज 200 मीटर की दूरी पर भीमगोडा है. बदलते समय के साथ प्राचीन भीमगोडा के नाम से एक पूरी कॉलोनी हरिद्वार में बसी हुई है. भीमगोडा में रहने वाले लोग खुद को सौभाग्यशाली मानते हैं.
पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाभारत का युद्ध खत्म होने के बाद पांडव अपने परिवार के साथ हिमालय जा रहे थे. जहां भी उन्हें चलते-चलते रात हो जाती थी, पांडव वहीं रुक जाते थे. हिमालय जाते वक्त पांडवों को हरिद्वार में रात हो गई थी, इसलिए वे यहां पर रुक गए थे. दूर-दूर तक जब उन्हें यहां पानी नहीं मिला, तो पांडवों ने भगवान शंकर की पूजा शुरू कर दी. बताया जाता है कि भोलेनाथ ने भीम को धरती में घुटना मारने को कहा था. भीम ने जिस स्थान पर अपना गोडा (घुटना) मारा था, वहां पर गंगा निकली थीं, जिसका पानी पीकर पांडवों ने अपनी प्यास बुझाई थी.
प्राचीन काल का शिवलिंग
हर की पौड़ी से महज 200 मीटर की दूरी पर भीमगोडा है, जहां आसपास एक घनी आबादी बसी हुई है. भीमगोडा में प्राचीन काल का एक शिवलिंग है. माना जाता है कि जब पांडव यहां आए थे, तो उन्होंने भगवान शंकर की आराधना के लिए यहां रेत का शिवलिंग बनाया था. इस शिवलिंग के सामने बैठकर ही उन्होंने भगवान शंकर की आराधना की थी. वहीं भीमगोडा में गुप्त गंगा का भी स्थान है, जहां पर पिंडदान करने का काफी ज्यादा महत्व बताया गया है.
भीमगोडा में भीम के नाम से भीमसेन मंदिर भी बना हुआ है. यह मंदिर पहाड़ में छोटी सी गुफा के आकार में है. हरियाणा से आने वाले श्रद्धालु इस मंदिर के दर्शन करने जरूर पहुंचते हैं. स्थानीय महिला अरुणा बताती हैं कि यहां पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
स्थानीय पार्षद कैलाश चंद भट्ट बताते हैं कि भीमगोडा में स्थित भीमसेन के मंदिर को देखने के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से यहां आते हैं.रोहतक से आए श्रद्धालुओं ने ‘न्यूज 18 लोकल’ से बात करते हुए कहा कि यहां भीमगोडा में प्राचीन भीमसेन मंदिर में आकर एक अलग सी अनुभूति होती है. वे बार-बार यहां आना पसंद करते हैं.
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