देहरादून. ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग को लेकर चल रही बहस और अदालती कार्रवाई के बीच उत्तराखंड के साधु संत इस मामले में मुखर होकर सामने आए हैं. हरिद्वार के साधु संत इस बारे में एकराय दिखाई दिए कि ज्ञानवापी पर हिंदू पक्ष का दावा मज़बूत है. हरिद्वार के संत समाज ने मांग की है कि अदालतों में बहस से बेहतर है कि आपसी सहमति से ही मुस्लिम पक्ष ज्ञानवापी पर अधिकार हिंदुओं को सौंप दे. संतों का कहना है कि विवाद नहीं बल्कि बात से इस मसले का हल निकाला जाना चाहिए.
निरंजनी अखाड़ा के सचिव व अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के प्रमुख महंत रविंद्र पुरी ने कहा कि दोनों पक्षों के धर्माचार्यों को बैठकर सौहार्द्रपूर्ण वातावरण में हल निकालना चाहिए. न्यूज़18 के साथ बातचीत करते हुए पुरी ने कहा, ‘कुरआन शरीफ़ में लिखा है कि बलपूर्वक किसी भी स्थान को प्राप्त कर अगर वहां मस्जिद बनाई जाती है तो वहां की गई दुआ अल्लाह कबूल नहीं करता. अगर अतिक्रमण करके मंदिर के ऊपर मस्जिद बनाई गई है तो वहां नमाज पढ़ना वैसे भी ठीक नहीं. फिर जो न्यायालय का निर्णय होगा, उसको सबको मानना चाहिए.’
‘नंदी का बरसों का इंतज़ार भी तो खत्म हो’
बड़ा अखाड़ा उदासीन के महामंडलेश्वर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश ने कहा, ‘मुगल आक्रांताओं ने देशभर में 30,000 मंदिरों को ढहाकर मस्जिदों का निर्माण कर दिया था. न्यायालय के सामने जो फैक्ट्स आ रहे हैं, वो हम सब जानते हैं. मुस्लिम समाज को मुकदमा लड़ने के बजाय एक स्वर से हिंदू समाज को ज्ञानवापी सौंप देना चाहिए. बरसों से जो नंदी अपने भगवान शिव की प्रतीक्षा में बैठे हैं, उनकी प्रतीक्षा भी खत्म हो.’
गौरतलब है कि काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद विवाद मामले में दाखिल याचिकाओं पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में शुक्रवार को अहम सुनवाई होने वाली है. जस्टिस प्रकाश पाडिया की सिंगल बेंच के सामने आज की सुनवाई में हिंदू पक्ष की ओर से पहले दलीलें पेश की जाएंगी क्योंकि पिछली सुनवाई में हिंदू पक्ष की बहस पूरी नहीं हुई थी. अदालत को तय करना है कि 31 साल पहले 1991 में वाराणसी जिला कोर्ट में दायर वाद की सुनवाई संभव है या नहीं.
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