गंगा तट पर इन दिनों एक विदेशी वाद्य यंत्र हैंड पेन की धुनों का आकर्षण विदेशी पर्यटकों को अपने मोहपाश में खींच रहा है.
ऋषिकेश/देहरादून. गंगा तट पर इन दिनों एक विदेशी वाद्य यंत्र हैंड पेन (स्टील का बना उड़न तश्तरी जैसा वाद्य यंत्र) की धुनों का आकर्षण विदेशी पर्यटकों को अपने मोहपाश में खींच रहा है. असल में एक देशी पहाड़ी लड़के, जिसे विदेशी कुटानी बाबा कहते हैं. उसने हैंड पेन से मोहक धुन सुनाकर लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. जब वह ऋषिकेश के गंगा तट पर हैंड पेन पर अंगुलियां फेरता है तो उसके आसपास लोगों की भीड़ जुट जाती है. उसका असली नाम सुमित कुटानी है.
अंतरराष्ट्रीय योग नगरी के रूप में पूरे विश्व में अपनी पहचान रखने वाला ऋषिकेश विश्व प्रसिद्ध बैंड बीटल के बाद विश्व भर के संगीत प्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है. ऐसे ही कुछ म्यूजिशियन स्विटजरलैंड के हैंड पेन को लेकर ऋषिकेश पहुंचे. डिजनी डू, अफ्रीकन ड्रम जंबो के साथ हैंड पेन की जुगलबंदी भारतीय पर्यटकों और स्थानीय लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है.
उत्तराखंड के पहाड़ से उतरा सुमित कुटानी इस वाद्य यंत्र को अंग्रेजों के संगत में बजाने लगा. देखते-देखते सुमित की अंगुलियां जब इस विदेशी साज पर फिरने लगीं तो विदेशी पर्यटक उनकी धुन पर थिरकने लगे. सुमित हैंड पेन पर कमाल दिखाने लगा है और रोज संगीत साधना शुरू कर दी. अंग्रेजों के बीच में सुमित को नया नाम मिला कुटानी बाबा. मूल रूप से श्रीनगर पौड़ी का रहने वाला सुमित इस विदेशी यंत्र को सीखने के लिए इंडोनेशिया जा पहुंचा. वहां से इसे बजाने और बनाने की कला को सीख कर वापस भारत लौटा है.
कुटानी बाबा का सपना है कि वह जल्द ही भारतीय संगीत प्रेमियों को भी हैंड पेन का म्यूजिक सिखा सके. इसके लिए वह उत्तराखंड में हैंड पेन म्यूजिक अकादमी भी खोलना चाहता है. सुमित का कहना है कि एक हैंड पेन की कीमत डेढ़ लाख रुपए के आसपास आती है. जल्दी ही वह इसका निर्माण ऋषिकेश में शुरू करेगा और इसके लागत को काफी कम दामों पर ले आएगा. हैंड पेन से 8 से लेकर 12 तरह की धुने निकलती हैं, जो भारतीय वाद्य यंत्र जलतरंग की तरह सुनाई देती हैं.
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