हरीश रावत ने हरिद्वार में गंगा किनारे आत्ममंथन के बाद बताया क्यों मिली थी चुनाव में हार

पूर्व सीएम हरीश रावत ने लगभग चार साल बाद 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में मिली हार की वजह का खुलासा किया है.
Uttarakhand News: हरीश रावत (Harish Rawat) ने अपनी पोस्ट में लिखा कि उन्होंने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में अलविदा जुमे की नमाज के लिए एक घंटे के स्वैच्छिक अवकाश की सुविधा लागू किया था. यही सुविधा उनकी सबसे बड़ी राजनीतिक भूल साबित हुई. नतीजतन कांग्रेस 2017 में विधानसभा चुनाव हार हुई.
- News18Hindi
- Last Updated: January 20, 2021, 6:11 PM IST
हरिद्वार. प्रदेश के पूर्व सीएम हरीश रावत (Harish Rawat) ने लगभग चार साल बाद 2017 में हुए विधानसभा चुनाव (Uttarakhand Assembly Election 2017) में मिली हार की वजह का खुलासा किया है. इतना ही नहीं, उन्होंने सोशल मीडिया पर अपने मन की बात लिखी है. रावत ने हरिद्वार में गंगा तट के किनारे आत्ममंथन करने के बाद सार्वजनिक तौर पर कांग्रेस को मिली हार का खुलासा किया है.
रावत ने अपनी पोस्ट में लिखा कि उन्होंने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में अलविदा जुमे की नमाज के लिए एक घंटे के स्वैच्छिक अवकाश की सुविधा लागू किया था. यही सुविधा उनकी सबसे बड़ी राजनीतिक भूल साबित हुई. नतीजतन कांग्रेस विधानसभा चुनाव हार हुई.
उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा, 'हरिद्वार में मां गंगा जी के किनारे पंडित मदन मोहन मालवीय घाट के चारों तरफ कुछ अराध्य पुरुषों, भगवान कश्यप, भगवान बाल्मिकि, आदि के नाम से घाट बने हैं. इनमें से अधिकांश घाटों का नामकरण मेरे कार्यकाल में हुआ. अब कश्यप चौक क्या आकार लेगा! मैं नहीं कह सकता, लेकिन वो नामकरण भी मेरे कार्यकाल में हुआ. फिर मन में विचार आ रहा है कि कैसे लोगों ने एक मजार में चादर चढ़ाते जाते वक्त पहनी मेरी टोपी को लेकर दुष्प्रचार प्रारंभ किया.'

बकौल रावत, 'मैंने 4 हिंदू बहन और भाइयों द्वारा मनाए जाने वाले त्योहारों, जैसे सूर्य देव की आराधना का महापर्व, करवा चौथ सुहाग की मंगल कामना का महापर्व, भगवान रैदास के नाम पर अवकाश आदि के निर्णय भी मेरे कार्यकाल में लिये गए, परशुराम जयंती के अवकाश का निर्णय लेते वक्त मैंने एक और
निर्णय अपने को सभी धर्मों का आदर करने वाला दिखाने के लिए, सालभर में एक दिन आने वाली अलविदा की नमाज़, रमजान के आखिरी जुमे की नमाज के एक घंटे के अवसर को भी मैंने कहा कि कोई भी अर्जी लगाकर के नमाज़ अता करने के लिये अवकाश ले सकता है, 1 घंटे का अवकाश और दुष्प्रचार इतना जबरदस्त कि मुझे उसी दुष्प्रचार के बल पर चुनावी हार झेलनी पड़ी.'
उन्होंने आगे लिखा, 'मैं, गंगा मांसे यह प्रार्थना करने आया हूं कि सर्वधर्म समभाव का मां तेरा जो भाव है, तेरे जल से व्यक्ति आचमन भी करता है, वजू भी करता है, मेरा भी वही भाव बना रहे, मुझे अपना आशीर्वाद दो मां.'
गौरतलब है कि मार्च 2017 में उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में हरीश रावत के नेतृत्व में कांग्रेस को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था. बीजेपी की आंधी में खुद हरीश रावत हरिद्वार ग्रामीण और किच्छा दोनों विधानसभा क्षेत्रों से चुनाव हार गए थे. प्रदेश की कुल 70 सीटों में 57 पर बीजेपी ने परचम फहराया था. कांगेस को सिर्फ 11 सीटों पर संतोष करना पड़ा था.
प्रदेश में विधानसभा चुनाव से ठीक एक साल पहले रावत पूरी तरह से सक्रिय हो गए हैं. उन्होंने कांग्रेस हाईकमान से चेहरा घोषित करने की मांग भी की है. उन्होंने चुनाव से पहले चेहर घोषित करने को ही बीजेपी पर जीत का फॉर्मूला करार दिया है. रावत के मुताबिक ऐसा करने से बीजेपी को आगामी चुनाव में शिकस्त मिलेगी.
रावत ने अपनी पोस्ट में लिखा कि उन्होंने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में अलविदा जुमे की नमाज के लिए एक घंटे के स्वैच्छिक अवकाश की सुविधा लागू किया था. यही सुविधा उनकी सबसे बड़ी राजनीतिक भूल साबित हुई. नतीजतन कांग्रेस विधानसभा चुनाव हार हुई.
उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा, 'हरिद्वार में मां गंगा जी के किनारे पंडित मदन मोहन मालवीय घाट के चारों तरफ कुछ अराध्य पुरुषों, भगवान कश्यप, भगवान बाल्मिकि, आदि के नाम से घाट बने हैं. इनमें से अधिकांश घाटों का नामकरण मेरे कार्यकाल में हुआ. अब कश्यप चौक क्या आकार लेगा! मैं नहीं कह सकता, लेकिन वो नामकरण भी मेरे कार्यकाल में हुआ. फिर मन में विचार आ रहा है कि कैसे लोगों ने एक मजार में चादर चढ़ाते जाते वक्त पहनी मेरी टोपी को लेकर दुष्प्रचार प्रारंभ किया.'

हरीश रावत (Harish Rawat) ने सोशल मीडिया पर अपने मन की बात लिखी है.
बकौल रावत, 'मैंने 4 हिंदू बहन और भाइयों द्वारा मनाए जाने वाले त्योहारों, जैसे सूर्य देव की आराधना का महापर्व, करवा चौथ सुहाग की मंगल कामना का महापर्व, भगवान रैदास के नाम पर अवकाश आदि के निर्णय भी मेरे कार्यकाल में लिये गए, परशुराम जयंती के अवकाश का निर्णय लेते वक्त मैंने एक और
निर्णय अपने को सभी धर्मों का आदर करने वाला दिखाने के लिए, सालभर में एक दिन आने वाली अलविदा की नमाज़, रमजान के आखिरी जुमे की नमाज के एक घंटे के अवसर को भी मैंने कहा कि कोई भी अर्जी लगाकर के नमाज़ अता करने के लिये अवकाश ले सकता है, 1 घंटे का अवकाश और दुष्प्रचार इतना जबरदस्त कि मुझे उसी दुष्प्रचार के बल पर चुनावी हार झेलनी पड़ी.'
उन्होंने आगे लिखा, 'मैं, गंगा मांसे यह प्रार्थना करने आया हूं कि सर्वधर्म समभाव का मां तेरा जो भाव है, तेरे जल से व्यक्ति आचमन भी करता है, वजू भी करता है, मेरा भी वही भाव बना रहे, मुझे अपना आशीर्वाद दो मां.'
गौरतलब है कि मार्च 2017 में उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में हरीश रावत के नेतृत्व में कांग्रेस को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था. बीजेपी की आंधी में खुद हरीश रावत हरिद्वार ग्रामीण और किच्छा दोनों विधानसभा क्षेत्रों से चुनाव हार गए थे. प्रदेश की कुल 70 सीटों में 57 पर बीजेपी ने परचम फहराया था. कांगेस को सिर्फ 11 सीटों पर संतोष करना पड़ा था.
प्रदेश में विधानसभा चुनाव से ठीक एक साल पहले रावत पूरी तरह से सक्रिय हो गए हैं. उन्होंने कांग्रेस हाईकमान से चेहरा घोषित करने की मांग भी की है. उन्होंने चुनाव से पहले चेहर घोषित करने को ही बीजेपी पर जीत का फॉर्मूला करार दिया है. रावत के मुताबिक ऐसा करने से बीजेपी को आगामी चुनाव में शिकस्त मिलेगी.