रिपोर्ट: ओम प्रयास
हरिद्वार. उत्तराखंड के हरिद्वार जिले के रोशनाबाद की रहने वाली महिला हॉकी टीम की पूर्व कप्तान वंदना कटारिया (Vandana Katariya) आज किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं. उन्होंने अपनी हॉकी स्टिक से खुद को साबित किया और आज वह तमाम लड़कियों की आदर्श हैं. उन्हीं की वजह से हरिद्वार में रहने वाली देहात और शहरी क्षेत्रों की ज्यादातर लड़कियों में खेलों के प्रति रुचि बढ़ती जा रही है. ज्यादातर लड़कियां रोशनाबाद स्टेडियम में रोजाना हॉकी की प्रैक्टिस करती हैं. लड़कियों का कहना है कि वह भी वंदना कटारिया के जैसे अपने गांव, शहर, प्रदेश और देश का नाम रोशन करना चाहती हैं.
रोशनाबाद स्टेडियम में प्रदेशभर से आई लड़कियां हॉकी खेलती हुई नजर आती हैं. लड़कियों का कहना है कि हॉकी खेलते हुए जैसे वंदना दीदी ने प्रदेश और देश का नाम रोशन किया है, वैसे वे भी अपने राज्य और देश के लिए बहुत कुछ करना चाहती हैं. जब से वंदना दीदी ने टोक्यो ओलंपिक में हैट्रिक मारकर देश का नाम रोशन किया है, वैसे ही वे भी देश का नाम रोशन करना चाहती हैं.
हरिद्वार के क्रीड़ा अधिकारी राजेन्द्र बताते हैं कि पूरे राज्य से हॉकी के लिए चुनी गई खिलाड़ी यहां प्रैक्टिस करती हैं. यहां सभी लड़कियां नेशनल खेली हुई हैं. नेहरू राष्ट्रीय प्रतियोगिता में हरिद्वार से गई टीम क्वार्टर फाइनल तक पहुंची थी. क्रीड़ा अधिकारी बताते हैं कि लड़कियों में हॉकी को लेकर ज्यादा रुचि है. ज्यादातर लड़कियां महिला हॉकी की पूर्व कप्तान वंदना कटारिया जैसा बनना चाहती हैं. वंदना सभी के लिए एक आदर्श हैं.
हरिद्वार रोशनाबाद स्टेडियम वंदना कटारिया के घर से महज चंद कदमों की दूरी पर है. वंदना भी इसी मैदान में खेलकर नेशनल लेवल तक पहुंची हैं. उन्होंने टोक्यो ओलंपिक में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ हुए हॉकी मैच में हैट्रिक लगाकर इतिहास रचा था. ऐसा करने वाली वह पहली भारतीय महिला हॉकी खिलाड़ी हैं. हरिद्वार लौटने पर उत्तराखंड सरकार ने उन्हें ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’का ब्रांड एंबेसडर घोषित किया था. इसके अलावा उन्हें 25 लाख रुपये का नकद पुरस्कार भी दिया था. वंदना को पद्मश्री और अर्जुन पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है.
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