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देहरादून: इस प्राचीन मंदिर में भक्तों के संकट दूर करते हैं सिंदूरिया हनुमान, जानिए मान्यता

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देहरादून

देहरादून का प्राचीन हनुमान मंदिर

Shri Adarsh Mandir Dehradun: देहरादून के घंटाघर के नजदीक पलटन बाजार के मुहाने पर दाईं तरफ रामपुर मंडी मार्ग पर प्राचीन ...अधिक पढ़ें

रिपोर्ट- हिना आज़मी
देहरादून. देवभूमि उत्तराखंड में कण-कण में भगवान निवास करते हैं. यहां देहरादून में भी कई प्राचीन मंदिर ऐसे हैं, जहां से लोग अपनी मनोकामना लेकर लोग आते हैं. हम बात कर रहे हैं देहरादून के प्राचीन महादेव हनुमान मंदिर की, जो पलटन बाजार में चाट वाली गली के नजदीक स्थित है.मंदिर के पुजारी उदय शंकर भट्ट ने जानकारी देते हुए बताया कि यह मंदिर करीब 1840 में बनवाया गया था. मंदिर का शीर्ष, सिंदूरिया हनुमान, शिवलिंग और काली मां की मूर्ति उस काल की ही बनी हुई है.

पंडित उदय शंकर भट्ट के मुताबिक, लाखों जनसंख्या वाले शहर देहरादून का यह हृदय स्थल है. यहां पर मुख्य डाक व तारघर के आगे पहले बस अड्डा हुआ करता था. ऋषिकेश, हरिद्वार, सहारनपुर, दिल्ली, चकराता, हिमाचल प्रदेश और मसूरी आदि जगहों यहीं से बसें चलती थीं.

प्राचीन महादेव हनुमान मंदिर का इतिहास
देहरादून के घंटाघर के नजदीक पलटन बाजार के मुहाने पर दाईं तरफ रामपुर मंडी मार्ग पर प्राचीन महादेव हनुमान मंदिर स्थित है. यह करीब 1840 के आसपास का स्थापित माना जाता है. ब्रिटिशकालीन भू-अभिलेखों में मंदिर का विवरण देखा जा सकता है. मंदिर की भूमि राजो नामक महिला के नाम भू-स्वामिनी के रूप में दर्ज थी. राजो देवी कलाल जाति की एक विदुषी व धार्मिक महिला थी. उसे यह भूमि अपने पूर्वजों द्वारा प्राप्त हुई थी, जो कभी मुजफ्फरनगर से आकर यहां पर बस गए थे.

ब्रिटिशराज में 1864 को घंटाघर के पास से मुख्य सड़क के नजदीक छावनी का बनी थी. मुख्य सड़क के दोनों तरफ का क्षेत्र सेना के पास आ गया था, जिसे पुराना कैंट कहा गया. जुलाई 1874 नया कैंट (वर्तमान) बन जाने के बाद पलटन बाजार, घंटाघर व उससे लगती पुराने कैंट की सभी जमीन नगरपालिका देहरादून को स्थानांतरित हो गई. इस भू-अभिलेख में प्लाट नं 26 पर यह मंदिर दर्शाया गया है.

राजो देवी की नहीं थी कोई संतान
राजो देवी की कोई संतान नहीं थी. 75 वर्ष की आयु में 22 मार्च 1893 को राजो ने एक वसीयतनामा तैयार करवाया और इस वसीयत नामे में उन्होंने इस मंदिर के साथ अन्य समस्त जायदाद का मालिकाना हक अपने नवासे (नाती) मुरलीधर वल्द सागरमल, जाति कलाल साकिन, मौजा बनत, जिला मुजफ्फरनगर को दे दिया. इस मंदिर को उस समय शिवाला कहा जाता था. राजो की मौत के बाद महादेव मंदिर व इससे जुड़ी संपत्ति का मालिकाना हक मुरलीधर वल्द सागरमल के पास आ गया.

1936 में मुरलीधर की मृत्यु हो गई. जिसके बाद मंदिर की देखभाल की जिम्मेदारी ट्रस्ट को दी गई.
इस मंदिर से से कई मान्यताएं जुड़ी हैं. लोग विपत्ति के समय यहां हनुमान जी के पास अपनी परेशानियां लेकर आते हैं. संकट मोचन उनके संकटों को हरते हैं.

देसी घी और सिंदूर से होता है बजरंगबली का श्रृंगार
इस मंदिर की खासियत यह भी है कि यहां प्रतिदिन हनुमान जी के श्रृंगार के दौरान 250 ग्राम देसी घी और 150 ग्राम सिंदूर चढ़ाया जाता है. यह प्रथा इस मंदिर के निर्माण से अब तक जारी है. मंदिर सुबह 5 बजे खुल जाता है और शाम 78 बजे कपाट बंद होते हैं. मंदिर में सुबह-शाम बजरंगबली की आरती की जाती है.

Tags: Dehradun news, Dharma Aastha, Hanuman mandir, Lord Hanuman, Uttarakhand big news

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