ऋषिकेश (Rishikesh) में परमार्थ निकेतन (Parmarth Niketan) वाले स्वामी चिदानंद (Swami Chidanand) की मुश्किलें बढ़ गई हैं. सरकारी ज़मीन पर अतिक्रमण (Encroachment on Government Land) के मामले में हाईकोर्ट (Nainital High Court) के स्पष्ट निर्देश के बाद भी स्वामी चिदानंद ने हाईकोर्ट में जवाब दाखिल नहीं किया है. इस पर नाराज़ कोर्ट ने आज स्वामी चिदानंद को दस्ती नोटिस जारी (Notice Issued) कर दिया है. कोर्ट ने दो हफ्तों के भीतर स्वामी चिदानंद को अपना पक्ष कोर्ट में रखने का आदेश दिया है. हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि वह जल्द से जल्द इस मामले का निस्तारण करना चाहती है. आज भी फ़ैसला किया जा सकता था और स्वामी चिदानंद को यह आखिरी मौका दिया जा रहा है.
हाईकोर्ट के अधिवक्ता विवेक शुक्ला ने याचिका दाखिल कर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष पर आश्रम के सामने सिंचाई विभाग की ज़मीन पर आरती स्थल के नाम पर निर्माण करने का आरोप लगाया है. याचिका में यह भी आरोप लगाया है कि इसे शादी समेत अन्य आयोजनों के लिए किराए पर भी दिया जाता है. याचिका में यह भी कहा गया है कि गंगा के अंदर 90 फीट तक चिदानंद महाराज ने अवैध तरीके से पुल बनवा रखा है.
याचिकाकर्ता ने ज़िला प्रशासन और विकास प्राधिकरण को भी कठघरे में खड़ा करते हुए कहा है कि कई बार लोगों ने इसकी शिकायत भी की है लेकिन अपने रसूख का इस्तेमाल कर बाबा ने सारे मामले रुकवा दिए. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की खण्डपीठ ने आठ अगस्त को सभी पक्षकारों को नोटिस जारी कर चार हफ़्ते में अपना पक्ष रखने को कहा था.
राज्य सरकार, ज़िला प्रशासन और विकास प्राधिकरण ने आज कोर्ट में जवाब दाखिल किया. इसमें कहा गया कि चिदानंद ने सरकारी भूमि पर कब्ज़ा किया हुआ है जिसमें मन्दिर, मकान, सड़क आदि का निर्माण किया गया है. बाकी सभी पक्षों ने तो हाईकोर्ट में जवाब दाखिल किया लेकिन स्वामी चिदानंद की ओर से कोई पेश नहीं हुआ.
प्रशासन की स्वीकारोक्ति के बाद हाईकोर्ट ने स्वामी चिदानंद को दस्ती नोटिस जारी किया और दो हफ़्ते में अपना पक्ष रखने को कहा. बता दें कि दस्ती नोटिस का अर्थ यह होता है कि हाईकोर्ट का कर्मचारी या कोई ज़िम्मेदार सरकारी कर्मचारी अपने हाथ से हाईकोर्ट का नोटिस पहुंचाता है. इसके बाद भी संबंधित पक्ष जवाब नहीं करता तो अदालत उसके ख़िलाफ़ कार्रवाई कर सकता है.
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FIRST PUBLISHED : September 18, 2019, 19:20 IST