नैनीताल शहर से लगभग 9 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (ARIES). ‘एरीज’ के मेन गेट से 4 किलोमीटर और हनुमान गढ़ी से लगभग 1 किलोमीटर पैदल चलकर भी यहां पहुंचा जा सकता है. इस शोध वेधशाला में काफी खगोलीय अनुसंधान होते रहते हैं. यह विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा सपोर्टेड है.
1954 में ‘एरीज’ की स्थापना बनारस में हुई थी. उसके बाद इसे उत्तराखंड के नैनीताल जिले में लाया गया और तब से यह नैनीताल की मनोरा नामक पहाड़ी पर स्थित है.
‘एरीज’ के वैज्ञानिक डॉक्टर शशि भूषण पांडे ने बताया कि भारत में खगोलीय विज्ञान अनुसंधान में ‘एरीज’ ने काफी योगदान दिया है. अब तक इसमें नए तारों की खोज, नई घटनाएं जैसे- माइक्रोलेंसिंग को भी ऑब्जर्व किया गया है. इसके साथ ही गामा किरण महाविस्फोट, तारों की अधोगति, हमारी और दूसरी गैलेक्सीज़ और खगोलीय पिंड में शोध कार्य हुआ है.
उन्होंने आगे कहा कि हमारे सोलर सिस्टम में मौजूद यूरेनस प्लेनेट की रिंग को खोजने में भी ‘एरीज’ का बड़ा योगदान रहा है. यहांछात्रों को शोध के लिए आमंत्रित किया जाता है. छात्र खगोल विज्ञान और वायुमंडल विज्ञान में रिसर्च कर सकते हैं. लगभग 6 से 10 छात्रों को हर साल यहां शोध के लिए आमंत्रित किया जाता है.
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