रिपोर्ट- हिमांशु जोशी, नैनीताल
देवभूमि उत्तराखंड में अनेक रूपों में भगवान को पूजा जाता है. इन्हीं में से एक हैं भूमिया देवता, जिन्हें क्षेत्रपाल (Bhumiya Devta Uttarakhand) भी कहा जाता है. वर्षों से उत्तराखंड की एक परंपरा रही है कि यहां जहां कहीं भी गांव बसता है या बसाया जाता है, वहां भूमिया देवता को भी स्थापित किया जाता है. उत्तराखंड के लगभग हर गांव में भूमिया देवता का मंदिर देखने को मिल जाएगा.
नैनीताल जिले के निवासी कैलाश बताते हैं कि भूमिया देवता को गांव का रक्षक माना जाता है. भूमिया देवता या क्षेत्रपाल पूरे गांव के देवता होते हैं. जब भी किसी के घर पर कोई पूजा या धार्मिक कार्यक्रम होते हैं, उस दौरान भूमिया देवता का भी पूजन किया जाता है.
पूजा में महिलाएं शामिल नहीं होती हैं
उन्होंने आगे कहा कि हरेला जैसे पावन पर्व पर भी भूमि देवता की पूजा होती है और भंडारे का आयोजन किया जाता है. हालांकि इस पूजा में महिलाएं शामिल नहीं होती हैं. पूजा से लेकर भंडारा आयोजित करने तक, सारी जिम्मेदारी गांव के पुरुषों की होती है.
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