रिपोर्ट: सीमा नाथ
नैनीताल: देवभूमि उत्तराखंड के कण-कण में देवी-देवताओं का वास है. यहां कई ऐसे मंदिर हैं, जिनका अपना पौराणिक इतिहास होने के साथ-साथ अपनी अलग महत्वता भी है. ऐसा ही एक मंदिर सरोवर नगरी नैनीताल में मौजूद है, जो भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक है. इसका नाम मां नयना देवी मंदिर है. मान्यता है कि मां सती के नयन यहीं पर गिरे थे, जिसके बाद से यहां मां सती के शक्ति रूप की पूजा की जाती है. मां नयना देवी सभी भक्तों की मनोकामना पूरी करती हैं.
इस मंदिर से लोगों की गहरी आस्था जुड़ी हैं. स्थानीय लोगों के साथ ही देश-विदेश से घूमने आने वाले पर्यटक भी मां का आशीर्वाद लेने जरूर आते हैं. नयना देवी मंदिर के अंदर नैना देवी मां के दो नेत्र बने हुए हैं. यहां नैना देवी को देवी पार्वती का रूप माना जाता है और इसी कारण उन्हें नंदा देवी भी कहा जाता है. मान्यता है कि यहां देवी के दर्शन मात्र से ही लोगों की नेत्र से जुड़ी समस्याएं दूर हो जाती हैं. लोग यहां आकर नेत्र संबंधी रोगों को दूर करने के लिए मन्नत मांगते हैं और मन्नत पूरी होने के बाद मां को अपनी श्रद्धानुसार प्रसाद व भेंट चढ़ाते हैं.
दर्शनों से दूर होते हैं नेत्र संबंधी रोग
मंदिर के पुजारी नवीन चंद्र तिवारी बताते हैं कि मां नयना देवी भक्तों के नेत्र रोग दूर करती हैं. बताया कि इसके पीछे एक सत्य घटना भी जुड़ी है, जो भक्तों की मां के प्रति आस्था को और बढ़ाती है. उन्होंने बताया कि कुछ साल पहले एक महिला अपनी बेटी की नेत्र संबंधी समस्या के समाधान के लिए नेपाल से नैनीताल के माल रोड स्थित सीतापुर आई हॉस्पिटल आई थी. उनकी बेटी की आंखों की रोशनी बेहद कम थी, लेकिन नैनीताल आने पर महिला को पता चला कि अस्पताल के पास में ही मां नयना देवी का मंदिर है, जहां दर्शन मात्र से आंखों से संबंधित सभी परेशानियां दूर होती हैं.
ये हुआ चमत्कार
पुजारी ने आगे बताया कि जिसके बाद महिला अपनी बच्ची के साथ मां के दर्शन के लिए पहुंची और यहां आकर मन्नत मांगी. वहीं, मां के दर्शन के बाद जब महिला दोबारा अस्पताल पहुंची, तो डॉक्टरों ने बच्ची का नेत्र परीक्षण किया और पाया कि बच्ची की आंखों की रोशनी बिल्कुल ठीक है. इस चमत्कार के बाद से मां के प्रति लोगों की आस्था और बढ़ गई.
ये है मान्यता
पुजारी ने बताया कि देवी सती के पिता दक्ष प्रजापति द्वारा आयोजित यज्ञ में अपमान से आहत देवी यज्ञ के हवन कुंड में कूदकर सती हो गई थीं. जिसके बाद भगवान शिव देवी सती की मृत देह को कैलाश पर्वत ले जा रहे थे. तब उनकी एक आंख नैनीताल में गिरी, जो आज मां नयना देवी मंदिर के नाम से जाना जाता है. यहां आने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. इसके साथ ही नेत्र संबंधी रोग भी दूर होते हैं, जिसके कई प्रत्यक्ष प्रमाण भी मौजूद हैं.
(NOTE: इस खबर में दी गई सभी जानकारियां और तथ्य मान्यताओं के आधार पर हैं. NEWS18 LOCAL किसी भी तथ्य की पुष्टि नहीं करता है.)
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