नैनीताल. चार धाम यात्रा में अव्यवस्थाओं और अनदेखी के मामले एक बार फिर चर्चा में आ गए हैं क्योंकि उत्तराखंड हाई कोर्ट ने बड़ी संख्या में जानवरों की मौत को लेकर सरकार से डिटेल में जवाब मांगा है. शासन और प्रशासन के आधे-अधूरे जवाब पर नाखुशी जताते हुए नाराज़ कोर्ट ने यहां तक कह दिया कि ‘क्यों ना चारधाम यात्रा की व्यवस्थाओं पर निगरानी रखने के लिए एक कमेटी बना दी जाए!’ यह बात कोर्ट ने उस जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कही, जिसमें जानवरों की मौत से बीमारी फैलने का खतरा बताया गया.
चारधाम यात्रा में फैली अव्यवस्थाओं और लगातार हो रही घोड़ों/खच्चरों की मौत पर सरकार के जवाब से हाई कोर्ट संतुष्ट नहीं दिखी. चीफ जस्टिस कोर्ट ने विस्तार से शपथ पत्र के साथ जवाब मांगा. इससे पहले समाजसेवी गौरी मौलेखी ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर जानवरों और इंसानों की सुरक्षा और चिकित्सा सुविधा की मांग की थी. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने चार धाम में 600 से अधिक घोड़ों की मौत के मामले में कोर्ट ने केंद्र राज्य समेत चारधाम यात्रा के ज़िलों के डीएम को नोटिस जारी किए थे.
सरकार के अधूरे जवाब और कोर्ट के सवाल
कोर्ट में सरकार ने कहा, वेटरनरी डॉक्टर ले साथ अन्य सुविधाओं को बढ़ाया गया. घायल घोड़ों की देखरेख बढ़ाई गई. एक एसओपी ही अभी शासन स्तर पर पेंडिंग है, जिसे जल्द लागू किया जाएगा. लेकिन इस तरह के जवाबों से नाराज़ कोर्ट ने विस्तृत रिपोर्ट फाइल करने के निर्देश देते हुए पूछा :
— घायल जानवरों को रखने की क्या व्यवस्था की गई?
— अनफिट जानवरों का क्या हुआ?
— एसओपी कब तक लागू की जाएगी?
— कुल कितने लोगों और घोड़ों/खच्चरों को जाने की अनुमति एक दिन में दी जा सकती है?
— क्या व्यवस्थाएं की गई हैं? क्यों ना चारधाम यात्रा में एक कमेटी बना दी जाए?
आपको बता दें कि चार धाम, खासकर केदारनाथ में बेज़ुबानों के बड़ी संख्या में मारे जाने, उनके साथ ज़्यादती किए जाने और उनके शवों को ठीक से न दफनाकर नदी में फेंक दिए जाने की खबर पहले भी न्यूज़18 ने आपको बताई थी. इन्हीं कारणों से जानकार यात्रा मार्ग में किसी बीमारी के फैलने की आशंका भी जता रहे थे. अब मौलेखी की याचिका पर ऐसे ही सवालों को लेकर हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है.
देहरादून सहस्रधारा रोड होगी चौड़ी
हाई कोर्ट ने इस प्रोजेक्ट के लिए पेड़ कटाई पर लगी रोक हटा दी है. साथ ही सड़क के लिए यूकेलिप्टिस पेड़ों को काटने की अनुमति देकर कोर्ट ने अन्य पेड़ों को शिफ्ट करने को कहा. सहस्रधारा में सड़क चौड़ीकरण के लिए 2057 पेड़ काटे जाने हैं. सरकार के जवाब के बाद कोर्ट से राहत मिली. बता दें कि देहरादून के आशीष गर्ग ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर पेड़ों को बचाने की मांग की थी, जिसमें कहा गया था कि पेड़ कटे तो दून घाटी का पर्यावरण प्रभावित होगा.
इस अफसर पर कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट
हाई कोर्ट के आदेश की अनदेखी सचिव शिक्षा को भारी पड़ी है. कोर्ट ने अवमानना का नोटिस जारी किया. कोर्ट ने पूछा, क्यों ना आप पर अवमानना का केस चलाया जाए! कोर्ट ने शिक्षा सचिव को 4 हफ्ते का समय दिया है. हाई कोर्ट की खंडपीठ ने एकलपीठ के आदेश को सही मानते हुए कर्मचारियों की सेवा को जोड़ते हुए एसीपी का लाभ देने का आदेश दिया था.
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