नैनीताल. शक्तिमान घोड़े पर हमले के मामले में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने गृह सचिव को आदेश दिया है कि 4 हफ्तों के भीतर याचिकाकर्ता के प्रत्यावेदन पर निर्णय लें. कोर्ट ने याचिकाकर्ता को कहा है कि 1 हफ्ते के भीतर वो अपना प्रत्यावेदन गृह सचिव को दें, उसके बाद उनको निर्णय लेना होगा. कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी पर घोड़े पर हमले का आरोप है जिसके बाद घोड़े की मौत हो गई थी.
गौरतलब है कि शक्तिमान घोड़े को लेकर राजनीति तेज होने के बाद हरीश रावत सरकार में मुकदम दर्ज हुआ था. इसमें बीजेपी सरकार के दौरान आरोपी बरी हो गए. आरोप है कि 14 मार्च 2016 में विधानसभा घेराव के दौरान पुलिस की लाठी से गणेश जोशी ने हमला किया था, जिसमें शक्तिमान घोड़ा घायल हो गया था. इसके एक महीने बाद घोड़े की मौत हो गई. इस मामले में पुलिस ने 23 अप्रैल 2016 को गणेश जोशी को आरोपी बनाया और देहरादून नेहरू थाने में मुकदमा दर्ज करा दिया था.
2016 में दाखिल हुई थी चार्जशीट
इस मामले में 16 मई 2016 को चार्जशीट भी कोर्ट में दाखिल कर दी गई थी, इसी बीच सरकार बदली तो सरकार ने सीजेएम कोर्ट देहरादून में केस वापस लेने का प्रार्थना पत्र दाखिल कर दिया, जिसको कोर्ट ने नहीं माना. हालांकि बाद में कोर्ट ने 23 सितंबर 2021 को इस मामले में गणेश जोशी को बरी कर दिया. निचली अदालत के इस फैसले को अब पिथौरागढ़ के एनिमल लवर और 1971 भारत पाकिस्तान जंग के घायल सिपाही एचएस बिष्ट ने हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए केस को ओपन करने की मांग के साथ दोषियों पर कार्रवाई की मांग की थी.
कोर्ट ने दिया 4 सप्ताह का समय
हाईकोर्ट के वकील शक्ति सिंह ने कहा कि इस मामले में सचिव गृह को प्रत्यावेदन का निस्तारण करना होगा. अगर 4 हफ्तों में ऐसा नहीं किया तो इस पर अवमानना का केस किया जा सकता है. अगर उनके खिलाफ कोई आदेश भी होता है तो वो वापस कोर्ट आ सकते हैं.
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