रिपोर्ट: सीमा नाथ
नैनीताल: उत्तराखंड में कई ऐसे पेड़-पौधे पाए जाते हैं, जो औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं. साथ ही इनका धार्मिक महत्व भी होता है, जो इन्हें और ज्यादा महत्वपूर्ण बनाता है. इनमें से एक पेड़ है पदम, जिसे पंया या फिर देव वृक्ष भी कहते हैं. यह पेड़ औषधीय गुणों से भरपूर तो है ही, साथ ही इसका धार्मिक महत्व भी है. वहीं होली में इस पेड़ की महत्वता और बढ़ जाती है. दरअसल, होली पर इस पेड़ की टहनी को काटकर इसमें चीर बांधा जाता है और होलियारे इसके इर्द गिर्द घूम होली गाते हैं.
उत्तराखंड में पाए जाने वाले इस पदम के पेड़ का बॉटनिकल नाम है प्रूनस सीरासोईडिस, जो रोजेशी परिवार का सदस्य है. अंग्रेजी में इसे बर्ड चेरी के नाम से भी जाना जाता है. यह पेड़ 2200 मीटर की ऊंचाई तक मिलता है. कुमाऊं यूनिवर्सिटी में वनस्पति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर डॉ ललित तिवारी बताते हैं कि यह पेड़ धार्मिक महत्त्व से जुड़ा है. इसकी पत्तियां पूजा में विशेष रूप से प्रयोग में आती हैं. वहीं, शादी के दौरान दुल्हन की विदाई के समय इसे डोली पर रखा जाता है. यह पेड़ इतना पवित्र माना जाता है कि इसकी लकड़ियों को हवन में आम की लकड़ियों के स्थान पर भी इस्तेमाल किया जाता है.
तुलसी की तरह है पवित्र
प्रोफेसर तिवारी ने बताया कि इस पेड़ की खासियत है कि जिन महीनों में पेड़ों में फूल नहीं होते, उस दौरान इसमें हल्के गुलाबी रंग के फूल खिलते हैं. इसकी छाल का प्रयोग जानवरों के घाव और चर्म रोग में भी किया जाता है. वह आगे बताते हैं कि जिस तरह तुलसी लगाई जाती है, ठीक उसी तरह पदम को लगाया जाना भी सनातन धर्म में विशेष महत्व रखता है. होलिका दहन में इस पेड़ की लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है. नागराज और देव वृक्ष के नाम से जाने वाले इस पेड़ को अत्यधिक पवित्र माना गया है, हालांकि अब इसकी संख्या कम होती जा रही है, जिनके संरक्षण की आवश्यकता है.
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