की संख्या के लिए विश्वविख्यात है. देश का यह पहला टाइगर रिजर्व बाघों के मामले में सर्वोच्च स्थान रखता है. बावजूद इसके एनटीसीए (नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी ) ने यहां के बजट में कटौती कर दी है. इसका यहां वन्यजीवों की सुरक्षा पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है.
ने इस साल बाघों की सुरक्षा के लिए विभिन्न मदों में एनटीसीए से 25 करोड़ रुपयों की मांग की थी, लेकिन राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने इसके पूरे बजट में ही कटौती कर टाइगर रिजर्व को 12 करोड़ का बजट थमा दिया. इसमें से एक करोड़ रुपया रामनगर वन प्रभाग को भी दिया जाना है. इस तरह यहां इस साल 11 करोड़ का बजट दिया गया है. बता दें कि बीते वित्तीय वर्ष में यहां इसके लिए एनटीसीए ने 15 करोड़ रुपए दिए थे.
बढ़ते बाघों के कुनबे के बीच कॉर्बेट अपने कुशल प्रबंधन के लिए भी जाना जाता है. ऐसे में बजट की कमी वन्यजीवों की सुरक्षा के लिहाज से उचित नहीं है. वहीं इसका सीधा असर पर्यावरण सुधार पर भी पड़ सकता है. कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक राहुल ने कहा कि यहां बाघों की संख्या बढ़ी है. ऐसे में इस साल एनटीसीए से पिछले साल की तुलना में बजट की राशि कम मिली है. उन्होंने कहा कि इसके लिए अतिरिक्त पैसों की मांग की जाएगी.
वहीं बाघ बचाओ समिति के मदन जोशी ने कहा कि एनटीसीए द्वारा इस बार बजट कम कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि कॉर्बेट में बाघों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. इसके मद्देनजर बजट में 25 करोड़ रुपयों की मांग की गई थी. उन्होंने कहा कि इस वर्ष दिया गया बजट पर्याप्त नहीं है. बाघों के संरक्षण के लिए एनटीसीए द्वारा दिया गया बजट निराशाजनक है. उन्होंने कहा कि इसका कॉर्बेट में बाघों के संरक्षण पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है.
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FIRST PUBLISHED : November 28, 2018, 14:12 IST