देश की महान कवयित्री महादेवी वर्मा (Mahadevi Verma) के बारे में कौन नहीं जानता है. वह आधुनिक हिंदी की सशक्त कवयित्री थीं, जिस वजह से उन्हें ‘आधुनिक मीरा’ भी कहा जाता है. उनके इसी नाम पर नैनीताल के रामगढ़ में मीरा कुटीर (Meera Kuteer in Ramgarh) स्थित है, जो कभी महादेवी वर्मा का भवन हुआ करता था. आज यह ‘महादेवी वर्मा संग्रहालय’ (Mahadevi Verma Museum in Nainital) के नाम से मशहूर है.
इस संग्रहालय के बनने के पीछे की वजह महादेवी वर्मा की गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर से एक मुलाकात थी. वह जब एक बार शांति निकेतन गई थीं, तब उनकी मुलाकात गुरुदेव से हुई. टैगोर ने कवयित्री से उत्तराखंड के नैनीताल की खूबसूरती और खासकर रामगढ़ के सौंदर्य को लेकर चर्चा की. एक बार जब महादेवी वर्मा बद्रीनाथ धाम की यात्रा से वापस आ रही थीं, तो वह एक दिन के लिए रामगढ़ में रुकी तो यहां की सुंदरता उन्हें भा गई. इसके बाद उन्होंने जमीन खरीदकर यहां मीरा कुटीर का निर्माण कराया.
मीरा कुटीर में पूरी की थी ‘दीपशिखा’
महादेवी वर्मा संग्रहालय में बतौर शोध अधिकारी मोहन सिंह रावत ने बताया कि वर्तमान का महादेवी संग्रहालय कवयित्री का घर हुआ करता था. 1936 में यहां वह पहली बार आई थीं. 1938 में मीरा कुटीर बनकर तैयार हुई और साल 1965 तक महादेवी वर्मा गर्मियों में यहां रहने के लिए आया करती थीं. इस भवन की एक खास बात यह भी यह कि इसी जगह पर उन्होंने अपनी मशहूर कविता संग्रह ‘दीपशिखा’ को पूरा किया था. (रिपोर्ट- हिमांशु जोशी)
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