रिपोर्ट : सीमा नाथ
नैनीताल. उत्तराखंड की सरोवर नगरी नैनीताल की लाइफलाइन कही जाने वाली नैनीझील के जलस्तर में लगातार आ रही गिरावट ने चिंता बढ़ा दी है. सर्दियों के सीजन में बारिश और बर्फबारी न होने से फरवरी में ही तापमान बढ़ने लगा था, जिसका सीधा असर नैनीझील के जलस्तर पर दिखाई देने लगा है और मार्च के महीने में ही झील का जलस्तर साढ़े चार से पांच फीट के करीब पहुंच गया है, जो आने वाले समय में पेयजल संकट की ओर इशारा कर रहा है.
नैनीझील का जलस्तर हर साल गर्मियों में कम होना पर्यावरणविदों के लिए लंबे समय से चिंता की वजह बना हुआ है, लेकिन इस बार जलस्तर का गिरना सर्दियों के मौसम से ही जारी है, जो और भी ज्यादा गंभीर है. नैनीताल की झील यहां आने वाले पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केन्द्र है. इसके साथ ही यह शहर के मौसम और जलवायु का निर्धारण भी करती है. इतना ही नहीं इस झील से शहर को पानी की आपूर्ति भी की जाती है लेकिन इस वर्ष मार्च महीने में ही नैनीझील का जलस्तर साढ़े चार से पांच फीट के करीब तक पहुंच गया है, जोकि पिछले 6 सालों में मार्च महीने का सबसे कम जलस्तर है.
पिछले साल की तुलना में दो फीट कम हुआ झील का जलस्तर
वहीं गर्मी के दौरान पानी की खपत और भी बढ़ जाती है, लेकिन इस बार मौसम जल्दी गर्म होने से मार्च माह की शुरुआत में ही झील का जलस्तर कम हो गया है और यही हाल रहा तो मई-जून तक हालात चिंताजनक हो सकते हैं.सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता एके वर्मा ने बताया कि इस बार बारिश और बर्फबारी न होने से प्राकृतिक जल स्रोत रिचार्ज नहीं हो पाए हैं और पिछले साल की तुलना में दो फीट झील का जलस्तर कम हो गया है. इस संबंध में जल संस्थान को अवगत कराया जाएगा, जिससे अधिक गिरावट होने पर पानी की कटौती की जा सके. इसके साथ ही पर्यटन सीजन के दौरान शहर में पेयजल आपूर्ति प्रभावित न हो उसके लिए जल संस्थान भी तैयार है.
शहर के पेयजल आपूर्ति पर नहीं पड़ेगा असर
जल संस्थान के अधिशासी अभियंता विपिन कुमार ने बताया कि इस बार बारिश पिछले साल के मुकाबले कम हुई है, जिससे नैनीझील के जलस्तर में गिरावट आई है लेकिन इसका पेयजल आपूर्ति पर प्रत्यक्ष असर नहीं पड़ेगा क्योंकि जल संस्थान के ट्यूबवेल पानी अंडरग्राउंड से लेते है और जल संस्थान अप्रत्यक्ष रूप से झील पर निर्भर है और आने वाले समय में इसका कहीं न कहीं असर जरूर देखने को मिलेगा. उन्होंने आगे बताया कि अभी 9 से 10 एमएलडी पानी दिया जा रहा है लेकिन यही स्थिति आगे भी रहेगी, तो एक से दो एमएलडी पानी कम करना पड़ेगा.
पेयजल आपूर्ति के लिए वैकल्पिक व्यवस्था तैयार
उन्होंने आगे कहा कि इससे होटल व्यवसायियों और नगरवासियों को निश्चित तौर पर दिक्कत होगी लेकिन विभाग द्वारा पेयजल आपूर्ति के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की योजना बनाई गई है. इसके साथ ही जो क्षेत्र गर्मियों में ज्यादा प्रभावित रहते हैं, उन क्षेत्रों को पेयजल संकटग्रस्त क्षेत्र में डाला गया है. वहीं इसके अलावा शासन से धनराशि की भी मांग की गई है, ताकि बजट मिलते ही आगे की तैयारियां की जा सकें.
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