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उत्तराखंड घूमने जाने का मन बना रहे हैं तो, ये सामान साथ ले जाना ना भूलें

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया है.

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया है.

Plastic ban.यदि आप अपनी गाड़ी से उत्तराखंड घूमने जाने का प्लान बना रहे हैं तो यह भी प्लान करलें की कूड़ा कहां फेंकना है ...अधिक पढ़ें

देहरादून/नैनीताल. उत्तराखंड हाईकोर्ट राज्य को साफ-सुथरा रखने के लिए प्लास्टिक बैन पर सख्त है. इसके चलते कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया कि उत्तराखंड आने वाले सभी पर्यटकों को टैक्सी और प्राइवेट गाड़ियों में पोर्टेबल डस्टबिन लाना जरूरी होगा. कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए अधिकारियों को कागजों पर नहीं बल्कि फील्ड पर काम करने की हिदायत दी है.

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सरकार को आदेश दिया कि हर राज्य में आने वाले सभी पर्यटकों को टैक्सी और प्राइवेट वाहनों में उत्तराखंड आने के दौरान पोर्टेबल डस्टबिन लाना होगा. इसके लिए सरकार निर्णय लेकर अगली तारीख तक कोर्ट में जवाब दे. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने सभी कंपनियों को आदेश दिया है कि वो प्रदूषण बोर्ड में 15 दिनों के भीतर अपना रजिस्ट्रेशन करें. कोर्ट ने उत्तराखंड के साथ दूसरे राज्यों में काम कर रही कंपनियों से पूछा है कि उनका कचरा उठाने के लिए क्या प्लान है वह बोर्ड के साथ शेयर करें.

हाईकोर्ट ने अधिकारियों को दी नसीहत
प्लास्टिक बैन मामले में हाईकोर्ट ने 13 जिला पंचायतों से पूछा कि उनके यहां कूड़ा निस्तारण के लिए क्या योजना है और बजट का क्या प्रावधान है. इसके साथ ही कूड़ा निस्तारण में उन्हें क्या दिक्कतें आ रही हैं. हाईकोर्ट ने अधिकारियों को नसीहत दी है कि कागजों पर काम है लेकिन धरातल पर नहीं है. हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड ने कूड़ा निस्तारण के लिए 30 जून को जो निर्देश दिए हैं उनका पालन करें.

कंपनियों को 15 दिन के भीतर रजिस्ट्रेशन कराने का आदेश
इसके अलावा हाईकोर्ट में पार्टी लॉन, होटल और शादी समारोह करने वाले पार्टी लॉन को कहा है कि प्लास्टिक खुद उठाएं. सभी जिलों के डीएम को कहा गया है कि वह अपने जिलों में होटल, मॉल और पार्टी लॉन के साथ बैठकर उनको निर्देश दें कि वह रीसाइक्लिंग प्लांट तक खुद ही कूड़ा लेकर जाएं. जितेंद्र यादव की याचिका पर हाईकोर्ट ने कहा था कि उत्पादनकर्ता, निर्माता, ब्रांड स्वामी, आयातकर्ता का प्रदूषण बोर्ड में पंजीकरण यानी रजिस्ट्रेशन होना अनिवार्य है. यदि रजिस्ट्रेशन नहीं करते हैं या फिर कूड़ा निस्तारण की प्लानिंग नहीं देते हैं. तो इनके उत्पादों को उत्तराखंड में बैन किया जाए और इनके सामान की बिक्री पर रोक लगा दी जाएगी.

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