नदी किनारे भूमि आवंटन पर हाईकोर्ट की रोक, 6 हफ़्ते में अतिक्रमण हटाने को कहा
एक जनहित याचिका में नियम विरुद्ध आवंटन को रद्द करने की मांग के साथ दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करने की मांग की गई थी.
News18 Uttarakhand
Updated: August 23, 2018, 5:47 PM IST

रिस्पना नदी जैसी कई नदियों के किनारों पर अस्थाई और स्थाई कब्ज़े हैं और अधिकतर मलिन बस्तियां भी नदियों के किनारे ही हैं. (फ़ाइल फ़ोटो)
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Updated: August 23, 2018, 5:47 PM IST
उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने राज्य की सभी नदियों के किनारे ज़मीन आवंटन पर रोक लगा दी है. हाईकोर्ट की खण्डपीठ ने सरकार और राजस्व सचिव को आदेश दिए कि जांच करें कि नदी किनारे कितनी जमीन पर धारा 132 के विरुद्ध आवंटन किया गया है. कोर्ट ने इसकी रिपोर्ट तीन महीने में तैयार करने के आदेश दिए और सरकार को आदेश दिया कि नदी किनारों की भूमि के आवंटन को निरस्त करने के साथ ही बेदखली की कार्रवाई नोटिस देकर करें.
देहरादून के पवन कुमार ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर कहा था कि प्रदेश की सभी नदियों के किनारों पर नियम विरुद्ध भूमि आवंटन किया गया है जो ज़मींदारी अधिनियम 132 के ख़िलाफ़ है. याचिका में कहा गया था कि जो भी राजस्व अधिकारी नदी श्रेणी की जमीनों पर 132 की कार्रवाई कर रहे हैं, वो गलत है.
याचिका में नियम विरुद्ध आवंटन को रद्द करने की मांग के साथ दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करने की मांग की गई थी. याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राजस्व सचिव को आदेश दिया है कि 6 हफ्तों के भीतर अतिक्रमणकारियों पर कार्रवाई करें.
कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि भविष्य में कोई भी आवंटन नदियों के किनारे न हो. खण्डपीठ ने यह भी आदेश दिया कि जो भी कार्रवाई इस पूरे मामले में की जाएगी, उसकी पूरी रिपोर्ट 10 हफ्ते के भीतर हाईकोर्ट में पेश की जाए. हाईकोर्ट की खण्डपीठ ने याचिका को निस्तारित करते हुए राज्य में नदियों के किनारे ज़मीन आवंटन पर रोक लगा दी है और पूर्व में किए गए आवंटनों की जांच कर कार्रवाई के आदेश जारी कर दिए हैं.(वीरेंद्र बिष्ट की रिपोर्ट)
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देहरादून के पवन कुमार ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर कहा था कि प्रदेश की सभी नदियों के किनारों पर नियम विरुद्ध भूमि आवंटन किया गया है जो ज़मींदारी अधिनियम 132 के ख़िलाफ़ है. याचिका में कहा गया था कि जो भी राजस्व अधिकारी नदी श्रेणी की जमीनों पर 132 की कार्रवाई कर रहे हैं, वो गलत है.
याचिका में नियम विरुद्ध आवंटन को रद्द करने की मांग के साथ दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करने की मांग की गई थी. याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राजस्व सचिव को आदेश दिया है कि 6 हफ्तों के भीतर अतिक्रमणकारियों पर कार्रवाई करें.
कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि भविष्य में कोई भी आवंटन नदियों के किनारे न हो. खण्डपीठ ने यह भी आदेश दिया कि जो भी कार्रवाई इस पूरे मामले में की जाएगी, उसकी पूरी रिपोर्ट 10 हफ्ते के भीतर हाईकोर्ट में पेश की जाए. हाईकोर्ट की खण्डपीठ ने याचिका को निस्तारित करते हुए राज्य में नदियों के किनारे ज़मीन आवंटन पर रोक लगा दी है और पूर्व में किए गए आवंटनों की जांच कर कार्रवाई के आदेश जारी कर दिए हैं.(वीरेंद्र बिष्ट की रिपोर्ट)
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