रामनगर. ‘कांग्रेस के लिए रामनगर एक राजनीतिक चक्रव्यूह है और चक्रव्यूह को तोड़ने महाभारत में अर्जुन नहीं बल्कि अभिमन्यु गए थे.’ यह बात पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के बेटे आनंद रावत ने रामनगर में मीडिया से मुखातिब होते हुए कही, तो इसके सियासी संकेतों को लेकर चर्चा शुरू हो गई. विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत खुद लालकुआं सीट से हारे, पर उनकी बेटी अनुपमा रावत हरिद्वार ग्रामीण सीट से जीतीं. क्या अब 2027 चुनाव में उनके बेटे चुनाव मैदान में दिखेंगे?
ऐसे संकेत रामनगर पहुंचे आनंद रावत ने खुद दिए. इन दिनों सोशल मीडिया में अपनी पोस्ट के चलते सुर्खियों में आए आनंद ने कहा, ‘रामनगर का चक्रव्यूह भी अभिमन्यु ही तोड़ेगा.’ दरअसल हरीश रावत 2022 में रामनगर से ही चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन प्रीतम गुट के माने जाने वाले रणजीत रावत के दबाव के चलते उनका विरोध हुआ और उन्हें कांग्रेस ने लालकुआं से लड़ने को कहा. रणजीत रावत को सल्ट से चुनाव लड़ना पड़ा. नतीजा यह हुआ, कांग्रेस रामनगर, सल्ट व लालकुआं तीनो सीट हार गई.
आनंद ने क्यों ठोकी रामनगर से ताल?
हालिया विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए रामगनर सीट अंतर्कलह की भेंट चढ़ गई तो अब 2027 के लिए नेता अपनी सीट अभी से तय करने में लगे हुए हैं. आनंद रावत का यह बयान इस सब को समझने के लिए काफी माना जा रहा है. आनंद ने जो संकेत दिए हैं, हालांकि उन्हें लेकर अभी से कुछ कहना जल्दबाज़ी ही है, पर हरीश रावत के बेटे ने रणजीत रावत को कड़े तेवर दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है.
खूब भिड़ते दिख रहे हैं आनंद!
हाल में आनंद अपने सोशल मीडिया के ज़रिये अपने पिता और अन्य कांग्रेसी नेताओं को भी तेवर दिखाने के चलते चर्चा में रहे. आनंद ने लिखा था, उनके पिता ने हमेशा उनकी बातों को एक नेता की दृष्टि से सुना और उन्हें येड़ा समझा. इसके बाद हरीश रावत ने सफ़ाई दी थी. यही नहीं, कांग्रेस से हल्द्वानी विधायक सुमित हृदयेश के साथ भी सोशल मीडिया पर उनकी कहा सुनी चलती रही, जिसके सियासी मायने भी खबरों में निकाले गए.
अब रामनगर पहुंचे आनंद ने अपनी दावेदारी के तेवर दिखाने के अलावा, प्रदेश की ज्वलंत समस्याओं की तरफ नेताओं का ध्यान खींचने की कोशिश की. बेरोज़गारी, युवाओं में बढ़ती नशे की लत, मैन एनिमल कॉन्फ्लिक्ट जैसे कई मुद्दों पर कहा कि ऐसे विषयों पर हमारे नेता बात नहीं करना चाहते तो बेहतर प्रदेश कैसे बनेगा? असल में, सोशल मीडिया पर भी आनंद तंज़ कर चुके हैं कि राज्य के नेता बधाई व शोक संदेश ही दिया करते हैं, मुद्दे की बात नहीं करते.
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Tags: Harish rawat, Uttarakhand politics
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