पेशावर कांड के महानायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के वंशजों को प्रशासन ने नगर निगम चुनाव से बाहर का रास्ता दिखा दिया है. पार्षद का चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही वीर चंद्रसिंह गढ़वाली की पुत्रवधू समेत पूरे परिवार का नाम वोटर लिस्ट से काट दिया गया है. इसके चलते गढ़वाली के परिवार के चुनाव लड़ने पर रोक लग गई है.
बता दें कि पेशावर कांड के नायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के वंशज पिछले कई दशकों से कोटद्वार-भाबर की हल्दूखाता ग्रामसभा के
रहे हैं, लेकिन अब उनके नाम क्षेत्र की मतदाता सूची से हटा दिए गए हैं. अपना नाम वोटर लिस्ट में दर्ज कराने को लेकर गढ़वाली की पुत्रवधू और पोते पिछले एक हफ्ते से तहसील और अधिकारियों के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन हर जगह उन्हें मायूसी हाथ लग रही है. वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के पोते देशबंधु गढ़वाली का कहना है कि पूर्व में हुए ग्राम पंचायत के चुनाव में उनके दोनों परिवारों के 12 लोगों के नाम वोटर लिस्ट में थे, लेकिन नगर निगम बनते ही उनके नाम हटा दिए गए.
वहीं उन्होंने बताया कि परिवार के सभी सदस्यों के आधार कार्ड, वोटर आईडी, ड्राइविंग लाइसेंस, राशन कार्ड सहित अन्य दस्तावेज उत्तराखंड के ही बने हुए हैं. वे पिछले लोकसभा, विधानसभा और पंचायत के चुनाव में भी मतदान कर चुके हैं. उन्होंने मामले की शिकायत एसडीएम से भी की. उन्हें बताया गया कि राजस्व विभाग के अधिकारियों ने गढ़वाली परिवार को यूपी का निवासी बताते हुए उनके नाम वोटर लिस्ट से कटवाए हैं. वहीं वोटर लिस्ट में नाम चढ़ाने के लिए दर-दर भटक रहे देशबंधु गढ़वाली का कहना है कि अगर वीर चंद्रसिंह गढ़वाली का उत्तराखंड से कोई मतलब नहींं है, तो सरकार उनकी मूर्ति को यहां से हटाए और उनके नाम से चलाई जा रही योजनाओं का नाम भी बदल दे.
वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के नाम पर राजनीति तो बहुत हुई, लेकिन उनके वंशजों की कोई सुध लेने को भी तैयार नहीं है. प्रदेश सरकार वीर चंद्र सिंह गढ़वाली को उत्तराखंड का गौरव मानती है, लेकिन उन्हीं के परिवार को हक नहीं मिल पा रहा है. यह
लड़ने वाले आंदोलनकारी के वंशजों का अपमान करना है. बता दें कि गढ़वाल राइफल के वीर चंद्र सिंह गढ़वाली ने पेशावर में जंगे आजादी की लड़ाई लड़ रहे पठानों पर अंग्रेजों के गोली चलाने के आदेश को नहीं माना था. इसके लिए अंग्रेजों ने उन्हें कालापानी की सजा दे दी थी.
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FIRST PUBLISHED : October 26, 2018, 13:40 IST