हिमांशु जोशी/पिथौरागढ़. उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के धारचूला में आई आपदा को भले ही आज तीन महीने का समय होने जा रहा हो, लेकिन आपदा के जख्म यहां के लोगों में अभी तक नहीं भर पाए हैं. हाल यह है कि अलग-अलग आपदाओं में अपना सब कुछ खो देने वाले ग्रामीण धारचूला स्टेडियम में बनाए गए राहत शिविर में रह रहे हैं और हाड़ कंपाने वाली इस ठंड में अपनी रात बिताने को मजबूर हैं. आपदा प्रभावितों को उस दिन का इंतजार है, जब वे यहां से निकलकर अपने घरों को जा सकेंगे लेकिन सरकार द्वारा इनके विस्थापन में हो रही देरी से सभी लोग मायूस हैं.
राहत शिविर में करीब 45 परिवारों के 200 से ज्यादा लोग रह रहे हैं, जिसमें बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएं, युवा सभी शामिल हैं. इन आपदा प्रभावित लोगों की जिंदगी पटरी से उतर चुकी है, जिसे वापस लाने के लिए कार्यवाही की सुस्त चाल इन आपदा प्रभावितों पर भारी पड़ रही है. यहां रह रहे खोतिला आपदा प्रभावित विनोद राम का कहना है कि ठंड के दिनों में यहां रात गुजारने में सभी को काफी दिक्कतें हो रही हैं. बच्चे बीमार पड़ रहे हैं, तो वही तबीयत बिगड़ने से एक बुजुर्ग महिला की मौत भी राहत शिविर में हो चुकी है. उन्होंने जल्द उनके विस्थापन और तब तक राहत शिविरों में व्यवस्थाओं को बेहतर करने की मांग की है.
धारचूला में कुदरत ने इस साल अपना जमकर कहर बरपाया. धारचूला के एलधारा, खोतिला और मल्ली बाजार के कई लोग इस आपदा में बेघर हो गए थे. तभी से राहत शिविरों में ये सभी लोग रह रहे हैं. आपदा प्रभावितों की इस समस्या को देखते हुए पिथौरागढ़ की जिलाधिकारी रीना जोशी से जब इस बार में पूछागया, तो उन्होंने बताया कि विस्थापन के लिए भूमि का चयन किया जा रहा है, जिस वजह से इसमें देरी हो रही है. साथ ही उन्होंने कहा कि 15 परिवारों की विस्थापन प्रक्रिया चल रही है और अन्य सभी लोगों को भी जल्द विस्थापित किया जाएगा.
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