रिपोर्ट- हिमांशु जोशी
पिथौरागढ़. उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में गुरना माता का मंदिर टनकपुर-पिथौरागढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग पर नगर से 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. इस मंदिर का वास्तविक नाम पाषाण देवी मंदिर है. गुरना गांव के पास होने की वजह से यह गुरना माता मंदिर के नाम से विख्यात है. पिथौरागढ़ में इस सड़क से गुजरने वाला हर वाहन यहां जरूर रुकता है. चालक व अन्य लोग गुरना माता का आशीर्वाद लेने के बाद ही आगे बढ़ते हैं.
मंदिर के पुजारी जीवन हिचारी बताते हैं कि 1952 से पहले मंदिर का छोटा सा रूप सड़क के नीचे था, जहां ग्रामीण व भक्तजन नित्य पूजा किया करते थे. 1950 में पिथौरागढ़ में यातायात सेवा शुरू होने के बाद इस क्षेत्र में काफी सड़क दुर्घटनाएं हुई. तभी मंदिर के तत्कालीन पुजारी को सपने में आभास हुआ कि माता गुरना मंदिर सड़क के आसपास स्थापित करने से अवश्य माता अपने भक्तों पर कृपा करेंगी. ठीक वैसा ही हुआ. मंदिर सड़क के पास बनाया गया और तब से इस क्षेत्र में दुर्घटनाओं का दौर थम गया.
हर रोज भंडारा
मां गुरना की इतनी मान्यता है कि मनोकामना पूर्ण होने पर भक्तगण हर रोज भंडारा, पूजा-पाठ कराने यहां आते रहते हैं. इस मंदिर को वैष्णो देवी मंदिर के रूप में मान्यता दी जाती है. प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार रात को यहां पर अधिकांश मां का वाहन बाघ दिखाई देता है और जिसे यह दिखता है उस पर माता की कृपा बनी रहती है.
हज़ारों यात्री करते हैं दर्शन
मुख्य राजमार्ग पर होने से हजारों यात्री मां के दर्शन कर धन्य हो जाते हैं. इस सड़क से गुजरने वाली हर गाड़ी यहां पर जरूर रुकती है और वाहन चालक मां के आशीर्वाद के रूप में धूप-अगरबत्ती अपने वाहन के आगे दिखाकर अपनी यात्रा की शुरुआत करते हैं और गुरना माता से सकुशल यात्रा की मनोकामना करते हैं. भक्तगणों द्वारा आने जाने पर मंदिर की घंटिया बजाई जाती हैं, जिसे सफल यात्रा होने का शुभ संकेत माना जाता है.
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