इस बार पिथौरागढ़ में जाड़ों के सीजन में भी जमकर पीलिया के मामले सामने आ रहे हैं.
पिथौरागढ़. पहाड़ों में आमतौर पर बरसात के बाद पीलिया के मरीजों की संख्या काफी कम हो जाती है. लेकिन. इस बार पिथौरागढ़ में जाड़ों के सीजन में भी जमकर पीलिया के मामले सामने आ रहे हैं. हैरानी की बात यह भी है कि पीलिया के 90 फीसदी शिकार सिर्फ स्टूडेट्स हैं. बरसात खत्म होते ही पहाड़ों में आमतौर पर पीलिया के मरीजों के तादात कम हो जाती है. लेकिन इस बार पिथौरागढ़ में नजारा कुछ उलट ही दिख रहा है. हालात ये हैं कि जिला अस्पताल में हर रोज 10 से 15 मरीज पीलिया के आ रहे हैं. जिनमें अधिकांश 7 से 22 साल तक के स्टूडेंट्स हैं.
पीलिया से ग्रसित ज्यादातर स्टूडेंट्स का इलाज अस्पताल में चल रहा है, तो कुछ घर पर रहकर इलाज करवा रहे हैं. छात्रों में पीलिया के मामले सामने आने की शुरूआत नवबंर के पहले पखवाड़े से शुरू हुई थी, जो लगातार बढ़ रही है. जिला अस्पताल के सीनियर फिजिशियन डॉ. दिनेश धर्मसत्तू ने बताया कि हर रोज 10 से 15 मामले पीलिया के आ रहे हैं, जिसमें 90 फीसदी स्टूडेंट्स हैं.
मामला सामने आने पर शिक्षा विभाग भी हुआ एक्टिव
आमतौर पर पीलिया खराब पानी और खाना लेने से होता है. ऐसे में जब सिर्फ स्टूडेंट्स ही इसकी चपेट में आ रहे हैं तो, ये भी माना जा रहा है कि स्कूलों में छात्रों को दिए जा रहे पानी में कहीं न कहीं कोई दिक्कत है. लगातार बढ़ रहे पीलिया के मामलों ने शिक्षा विभाग को भी चिंता में डाल दिया है. विभाग ने जलसंस्थान के साथ ही सभी स्कूल संचालकों को पानी की क्वालिटी चेक करने के निर्देश दिए हैं. जिला शिक्षा अधिकारी अशोक जुकरिया का कहना है कि सभी जरूरी अधिकारियों को इस बारे में निर्देश जारी कर दिए गए हैं.
जानें क्यों जरूरी है जांच
बता दें, शक की सूई स्कूलों पर इसलिए भी घूम रही है कि जो बच्चे पीलिया से पीड़ित हैं, उनके घर से अन्य सदस्य इसके शिकार नही हैं. यही नहीं पीलिया से पीड़ित सबसे अधिक छात्र मुख्यालय और उसके आस-पास से हैं. छात्रों में लगातार बढ़ रहे पीलिया के मामलों से गार्जन भी चिंतित हैं, ऐसे में बेहतर यही होगा कि स्कूलों में दिए जा रहे ड्रिकिंग वॉटर की शुद्धता की जांच तेजी से की जाए, ताकि पीलिया पर लगाम लग सके.
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