हिमांशु जोशी
पिथौरागढ़. देव भूमि उत्तराखंड में प्राचीन काल से ग्रामीण अंचलों में देवी-देवताओं की पूजा की जाती है. यहां हर गांव के अलग देवी-देवता होते हैं. उनके आशीर्वाद से पूरे गांव के लोगों के कष्ट दूर होते हैं. यह परंपरा आज भी जारी है जहां देवी-देवता को पूजने से लोगों के कष्ट दूर हो जाते हैं. पिथौरागढ़ से सात किलोमीटर दूर घुनसेरा गांव में स्थित मां कोटवी देवी मंदिर की ख्याति पूरे पिथौरागढ़ में फैली हुई है. वजह है पहाड़ की चोटी पर बना मां कोटवी देवी का मंदिर, जहां मौजूद गुफा में पौराणिक मूर्तियां और पवित्र जलकुंड है. मान्यता है कि इस पवित्र जलकुंड के पानी से शरीर की सारी बीमारियां दूर होती हैं. इस जल को लेने के लिए लोग दूर-दूर से घुनसेरा गांव आते हैं.
घुनसेरा गांव में स्थित मां कोटवी देवी भगवती की छोटी बहन मानी जाती हैं, जिन्हें न्याय की देवी के रूप में गांव वाले पूजते हैं. कोटवी देवी पंचकोटी देवी-देवताओं में शामिल हैं. मां कोटवी देवी के प्रांगण में सभी शुभ कार्य धार्मिक रीति-रिवाजों से किए जाते हैं. ऐसा माना जाता है कि यहां किये गये शुभ कार्य कभी भी असफल नहीं होते हैं. यहां यज्ञोपवीत संस्कार, शादी और अन्य चीजें प्रमुखता से की जाती हैं.
इस मंदिर के पुजारी भोपाल दत्त भट्ट बताते हैं कि मां कोटवी देवी की यहां स्थापना सदियों पहले उनके पूर्वजों के द्वारा की गई थी. मां कोटवी देवी को न्याय की देवी के रूप में पूजा जाता है. आज भी गांव के लोग न्याय के लिए मां कोटवी देवी के दरबार में पुकार लगाते हैं.
(NOTE: इस खबर में दी गई सभी जानकारियां और तथ्य मान्यताओं के आधार पर हैं. न्यूज़ 18 लोकल किसी भी तथ्य की पुष्टि नहीं करता है)
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