पिथौरागढ़ में नेपाल से लगी सीमा पर सुरक्षा एजेंसियों ने सख्ती शुरू कर दी है. अब नेपाल से आने वाले लोगों को भारत में बिना पहचान पत्र के प्रवेश नहीं दिया जाएगा. दरअसल पिथौरागढ़ में नेपाल से 150 किलोमीटर लंबी भारत-नेपाल सीमा लगती है. कोरोना और चुनाव की सुरक्षा की दृष्टि से भारत-नेपाल स्थित चौकियों पर नेपाली नागरिकों को पहचान पत्र के आधार पर ही प्रवेश मिल सकेगा.
कुछ दिनों पहले नेपाल सरकार ने पिथौरागढ़ से लगे सीमावर्ती इलाके गुंजी, कुटी और नाबी में जनगणना करने की कोशिश भी की थी. भारत-नेपाल सीमा पर काली नदी में सीतापुल, ऐलागाड़, धारचूला, बलुवाकोट, जौलजीबी और झूलाघाट में झूलापुल हैं. इन पुलों से भारत में रोजगार के लिए भारी संख्या में नेपाल के लोग आवाजाही करते हैं.
हाल में भारत के कालापानी से सटे कुटी, गुंजी, नाबी पर नेपाल अपना दावा कर चुका है. उसने इन उच्च हिमालयी माइग्रेशन वाले गांवों में जनगणना के लिए टीम भेजने की कोशिश भी की लेकिन सफलता नहीं मिली. रोजगार के लिए नेपाल का बड़ा वर्ग भारत पर निर्भर है. रोज सीमांत जनपद पिथौरागढ़ में बने इन पांच झूलापुलों से 10 हजार से अधिक लोग आवाजाही करते हैं. इसमें 90 प्रतिशत से अधिक संख्या नेपाली नागरिकों की होती है.
नेपाल के भारतीय भू-भाग को लेकर बदले नजरिए और दावे के बाद सुरक्षा एजेंसियां सीमा पर अलर्ट मोड पर आ गई हैं. नेपाल से सटी सीमा से अराजक तत्वों के देश में प्रवेश को रोकने की दृष्टि से SSB ने निगरानी तेज कर दी है. राज्य में चुनाव की दृष्टि से भी सीमा पर सघन जांच की जा रही है, जिससे कि राज्य की शांति व्यवस्था बनी रहे और नेपाल के रास्ते हो रही तस्करी पर भी लगाम लगे.
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